Book Title: Kavivar Banarasidas
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

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Page 26
________________ बिस्तर पर पड़े पड़े वे ध्यान लगता है कविका प्राण माया । चिन्तन में निमग्न रहते थे। (व कुटुम्बियों में अटका हुआहै।).. । सांसारिक मोह त्यागना आसान नहीं) Vवेकहलिवना कोपती अंगुलियों से भी लेखनी से अक्षर भी चाहते हैं। बन रहे थे। 214 कविवर ने अंतिम इंद लिखा स्मृति शेष रह गई। ज्ञान कतक्का हाथ, मारि अरि मोहना। प्रगट्यो रुप स्वरूप, अनंतसुमोहना॥ जापरजै को अन्त , सत्यकर मानना। चले बनारसीदास, फेर नहिं आवना ॥ चल बनारसीदास Pawan फेरनही आवना फेरनहा समाप्त 107 बाहुबली प्रकाशन का आगामी आकषर्ण कहानकथा : महानकथा : (पूज्य कान जी स्वामी के सम्पूर्ण जीवन पर . आधारित मार्मिक चित्र कथा) मूल्य ४) रुपया आलेरब- अरिबल बसंल पिनाकन-अनन्त कुशवाहा

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