Book Title: Kavivar Banarasidas
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 24
________________ साझेदारी के बंधन से मुक्त होकर बनारसी दास को प्रसन्नता हुई। (आह, चिन्ता मिटी | Boo आगरा में पहला प्लेग फैला। गांठ रोग बनारसी दास ने भी आगरा छोड़ कर एक ग्राम में आश्रय लिया। उन्होंने जैन साहित्य का अधिकाधिक अध्ययन किया। ये दुर्लभमूल पांडुलिपियां बनारसीदास का मन विरक्त होने लगा । कोई नई बात नहीं है। मान जाओ। लोगों के आग्रह से उन्होंने तीसरी शादी की। मेरी भी राय, है । इसका कोई उपचार फैल रहा है। लोग नहीं है। शहर छोड़ धड़ाधड़ मर रहे हैं। कर भागो । आगरा से महामारी खत्म हुई तो बनारसीदास तीर्थ यात्रा के लिए निकल पड़े। उनका पुनर्विवाह हुआ किन्तु संतानोत्पत्ति के बाद पुन: पत्नी, पुत्र का देहांत हो गया 22 उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया जब 'समयसार ' पढ़ा । 'अब दिगम्बर जैन धर्म में मेरी आस्था दृढ़ हो गई है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27