Book Title: Kavivar Banarasidas
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

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Page 17
________________ बनारसीदासके श्वसर पक्ष के धर्मदास की भागीदारी में जितना कमाया इन्होंने फिर व्यवसाय । हलवाईका 14रु०का उतना खर्च हो रिश्तेदार ताराचंद तांबी इन्हे शुरू किया। गया। | उधार चुका दिया। | अपने घर लेगए। मरान मैने कहाथा (आप भले आदमी है। दीवर्षका हाड़-तोड़ श्रम व्यर्थ गया। स्ककानी कौडी भीनहीं बची। रेउस पोटली में) आठ मोती।...हे भगवान, क्या है?.00%इंबतेको सहारा मिला। परफा निकसीचोची सागरमथा। भईहींगवालकीकया। अकरी मसक्कत गई अकाथ कौड़ीएकनलागी हाथ। M ANGIX - SAM बनारसीदास अपनी ससुराल सैराबाद पहुंचे। पासके ये २०००रखो। मासे की भी मांगती हैं। मांनेचुपचापये २००स०दिए है। आगराजाकर फिरसे व्यापार शुरु करो। मुझमें आत्म पत्नी सेसारी आपबीतीकही। बनारसीदासनए उत्साह से कार्य करने लगे। विश्वास फिर लौट आया है। | व्यापार के लिए वस्तुएं खरीदने और... उन्हें विक्रय के लिए तैयार (इनकपड़ों को अच्छी तरह करवाने में धोना। आगरा में बेचनाहै। लग गए।

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