Book Title: Kavivar Banarasidas
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

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Page 8
________________ शरीर में असंख्य दुींधित प्यावहोगए । बाल झड़ने बनारसीदास की पत्नी और सासही लगे। इतने कुरूप होगए कि लोग दूर रहने लगे। उनकी धोडी-बहत देखभाल करती थीं। जापावालाकार यह मेरे पापों का 3000. फल है। कोई फायदा || एकनाईवैद्य मैं इलाजकरुंगा। इन्हें भुनाचना और छः मास पश्चात बनारसी नहीं होरहाथा। नेदेखा। बिना नमक का भोजनदेना होगा। दास रोगमुक्त हो सके। (आह..आह! (नाई महाराज, आपने मुझे नया जीवन दिया है। आपठीक घरलौटने के पश्चात वे फिर पहले जैसा असंयमित होगए,मेरी जीवन बिताने लगे। मेहनत सफल हो > गई। 3299294 आत्मीयजनों प्रेम का व्यसनछोड़ दो।ज्ञानार्जन ब्राह्मण ने समझाया चारणों का कार्य है। व्यापारी केलड़के हो व्यापार में मन लगाओ। पत्नी के रहते भी विषय-सेवन, फैशन पुरस्ती और आवारागदी में कोई कमी नहीं आई थी।

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