Book Title: Kavivar Banarasidas
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

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Page 10
________________ आश्चर्य, सबेरे ठीकहोगए थे।। क्या..दो मोटी शेटियो ने तुम्हें ठीक M कर दिया। आर्थिक दृष्टि से घर में व्यापार भी अस्थिरता थी। बनारसीदास स्क्रतरहका बहुत चिन्तित रहते थे। (जुआ है। ००००० लाभप्रशुराम WAM एक सन्यासीसे बच्चा,मैं एक ऐसा मंत्र...प्रचुर धनाअट निष्ठालेकर करूंगा भेट हसा। जानता हैं जिसे नियमित प्राप्त होगा। गापनायब्गस मत्र योगीराज जपने से..... काजाप करनाहोगा। एकवर्ष पश्चात प्रतिदिन अपने । | बनारसीदास ने एकवर्ष मंत्रके जाप से मोहरें मैं मूर्ख। द्वार पर स्क सोने की मोहर पाओगे तक मंत्रकाचुपचापजापकिया कहां मिलनेवाली थी। बना। कभी घर में कभी गोमती के एकान्त तट पर। कद दिनों बाद एक और यह शंख,भगवान महादेवको योगी मिला। प्रतिरूप है।इसकी नित्य..., पूजाकरोगे तो शिवपुरी मिलेगा सारी मनोकामना पूरी होगी।

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