Book Title: Kavivar Banarasidas
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

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Page 13
________________ एक दिन गोमती के पुल पर । बनारसी ने नारी सौन्दर्य का क्या खूब वर्णन किया है। AA 14 बनारसी, तुमने तो प्रेम भरी कविताओं का नवरस ग्रन्थ, रच डाला है. L मैंने मिथ्या सौन्दर्य का पूरा) (इसके पन्ने गोमती के "वक्ष में समा जाएं यही ठीक है । ग्रन्थ ही रच डाला है। हाय! अब तो उस पांडुलिपि मैं अब ऐसी को समेटना असंभव है। रचनाएं नहीं करूंगा। नवरस ग्रन्थ के पन्ने नदी में फेंक दिए ! . इस मनोरम स्थान पर उनका, रसास्वादन कराओ। बनारसीदास बात- व्यवहार में | एक सज्जैन हो उठे थे। (मैं आपको प्रणाम करता हूं। 11. 'अरे..अरे! यह क्या किया। . अब अपना मन नैतिक और धार्मिक चिन्तन में लगाऊंगा। उनकी चरित्रहीनता से जो लोग उन्हें धिक्कारते थे वे अब प्रशंसा करने लगे। 'अरे, बनारसी दास तो एक दम बदल गया है।

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