Book Title: Kavivar Banarasidas
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ उनकी रुचि दिन प्रति दिन लेखन में बढ़ती गई। मनहरदोहाचौपाइयों में नवरस परकाव्य। विशेषतः सम्भोग प्रधान वर्णन। बनारसीदास 'आशिकी' मैं तुम्हारे लिए ये रत्न अहा.. अहा | वाह क्या वर्णन किया है। मे डबरहे थे। पिताजी की नजर बचाकरलाल मोहिनीका रूपसाकार कर दियाहै चुराकर लाया हं। dिeamrill प्रेम-वासना में लिप्त,बनारसीदासका असंयमित जीवन लगभग दोवर्षचला उम्रतो केवल 5वर्वथी लेकिन शायद जल्दीजवानहोगए थे। उन्हें पता नहीं था। कुसंगति और || बनारसीदास, पत्नी की विदा| वही रोगाक्रांत होगए। कुव्यसनी के कारण उन्हें गर्मी । कराने खैराबाद गए। या उपदंश रोगलग गया था। क्याबातहै-स्वामी? (आह! टीटीटी

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27