Book Title: Kaudesh se Kundkund
Author(s): Yogesh Jain
Publisher: Mukti Comics

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Page 8
________________ मुक्ति कामिक्स (GEORY PER यदि मैं पढ़ा लिखा होता तो पढलेता परन्तु अब में इसका क्या कर शायद इस लिखे ताड़पत्र के कारण यह वृक्षजलाना har C “आत्माकभी मरता नहीं जलता नहीं, गलतानहीं तथा सूरखता भी नहीं।" और कौण्डेशजंगल में खोजता हुआ बहुत दूर निकल आया। ०००० (6ीक है,यह ताडपत्र में उन मुनिराज को (हीदूंगा। चलते-चलते उसे दूर एक वृक्ष के नीचे मुनिराज दिखाई पड़े। कौण्डेश अछा के साथ आनंदित होता हआ मुनिराज की ओर चला जा रहा था। उसे सन्तोष हो गया । - M

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