Book Title: Kaudesh se Kundkund
Author(s): Yogesh Jain
Publisher: Mukti Comics

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Page 24
________________ 22 मुक्ति कॉमिक्स बारह वर्ष की आय में पदम ने आचार्य जिनचन्द्र से दीक्षा ग्रहण की। अनेक लोगों ने प्रणवत लिए पद्म के वैराग्य से प्रभावित टोकर दीक्षित ए। हजारों ,लाखों लोग प्रेरित व प्रभावित हुए। साधु बनकर पद्मनंदीकठोरअरे देखो पदमनंदी का तपा) तपशा करने लगे। उनकी कई दिनों से आगर भी कीर्तिचारों ओर फैमनेगी। नहीं लिया। म जैन धर्म मैं अणुव्रत लेताह में प्रतिमारलेलाई अंगीकार कराई संघ के साधु भी उनकी तपस्या से प्रभावित हुए.. देखो तो सही। दीक्षा में चाहे हमसेर कोटे,परन्तु ज्ञान,ध्यान एवं तपस्यामेर हम सबसे श्रोष्ठाचत्यहै इनकी साधना आचार्य जिनचन्द्र वृद्ध हो चले थे। वे दूसरे संघ फिर भी उन्होंने संघ के मूनियो सेजानकारी ली। में जाकर समाधि लेना चाहते थे। और योग्य मेरे पश्चात् इस संघ के आचार्य का पद कॉन) मुनि को आचार्य भार सौंपकर मुक्ति पानाचाह मुनि संभाल पायेंगे) रहथा मनदी हीसे मनि है जिन्हें पदमनंदी से श्रेष्ठ) संघ के सभी मुनि चाहने प्रशंसा इस भूतल पर कौन र हेासकना है। करते है | भावों में भी विशेष प्रभाव है।

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