Book Title: Kaudesh se Kundkund
Author(s): Yogesh Jain
Publisher: Mukti Comics

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Page 27
________________ कौण्डेश से कुन्द कुन्द 25 मुनि युगल नीचे उतरकर आचार्यकुन्दकुन्द की वन्दना कर विराजते है और अपना परिचय देते है। पूज्यपाद गणथरदेव की क्या प्राज्ञा है? (आज्ञा जिनकी दासी हो,जो) (धर्म के गौरव हो,महाविदेह में जिनकी कीति हो,चरित्र र की चर्चा हो, उनके लिए क्या) माज्ञा हो सकती है। IJADE क्या आपको साक्षात् तीर्थकर देव के दर्शन की इच्छा नहीं होती। क्यों नहीं ? यह दुर्बलता) अभी शेष है ही। | क्यों न आपभी हमारे साथ चलें) (विचार तो उत्तम है। वही जाकर कुछ शंकाओं का समाधान होगा। (आपको चारण मृद्धि प्राप्त हैही आप भी हमारे साथ अहंत देव के दिव्य वचनामृत का पान करेंज

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