Book Title: Kaudesh se Kundkund
Author(s): Yogesh Jain
Publisher: Mukti Comics

View full book text
Previous | Next

Page 30
________________ 28 (A) वने तथा मुक्ति कॉमिक्स भगवान महावीर के उपदेशको सम्पूर्ण भारत में | प्रचारित करते हुए कुन्दकुंदने ८४ पाहु ग्रंथों की रचना की । उनकी आयु६५ वर्ष हो चलीथी (अब तो हाथ उन्हें योग्य शिष्य की तलाशथी जिसे संप्य भी कांपने लगे। के आचार्य पद पर स्थापित करनाथा योग्य मुनि को आचार्य पद सौंपकर मुनिवर कून्दकुन्द के देह त्याग के बाद समयानुसार मुनिवर कुन्दकुन्द समाधि हेतू अन्न | उनके अध्यात्मको अमृतचंद,जयसेनाचार्यादि जल कात्याग कर पान्नूर पर्वत पर गये ने आगे बढाया । उनके ग्रंथों की टीकाएं की। जयसेनाचार्य |सैकडों वर्षों तक लोग उनको याद करते रहे आचार्य देवसेन ने कहा- यदि सीमन्धर भगवान से प्राप्त दिव्य ज्ञानका उपपेश कंदकुंदाचार्य न देते तो मुनिजन सच्चे मार्गको कैसे पाते १२ अमृतचंद्र कुन्दकुन्द तो कलिकाल में सर्वज्ञ के रूप में थे। हरान है, न होहिंगे मुनिन्द कुन्दकुन्द से। GE मनि श्रुतसाग

Loading...

Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32