Book Title: Kaudesh se Kundkund Author(s): Yogesh Jain Publisher: Mukti Comics View full book textPage 9
________________ कौण्डेश से कुन्द कुन्द “हे मुनिवर ! यह ताड़पत्र स्वीकार कर मुझ पर उपकार कीजिए।" यह कह कर कौण्डेशने ताड़पत्र मिलने की सारी घटना कह सुनायी। हाँ भव्य ! यह आत्मा नहीं परन्तु, इस में हमारी तुम्हारी आत्मा की बात लिखी हाँ! हाँ! तुम्हें आत्मज्ञान अवश्य ही होगा और तुम सुखी भी होंगे। तुम्हें हजारों वर्षों तक लोग याद करेंगे वह कैसे ?) मुनिवर ने प्रसन्नता से कौण्डेश को देखा तो उसने भोलेपन से पूछा कि मुनिवर ! क्या यह आत्मा है? क्यों कि यह भी जलाव गला नहीं है। तो मुझे वह आत्मज्ञान कब व कैसे प्राप्त होगा ? (मेरा दुःख कब दूर होगा ?) तुम्हें पता है ? आज तुमने संसार के दो महान कार्य किये हैं। वो, क्या ?Page Navigation
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