Book Title: Kaudesh se Kundkund
Author(s): Yogesh Jain
Publisher: Mukti Comics

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Page 13
________________ कोण्डश से कुन्द कुन्द हां! हां। क्यों नहीं ? बेटा भी तो तुम्हारा है,सोधर्मात्मा व विवेकशील ही होगा सेठानी। तुम्हारा कथन सत्य हो बटन। (हाँ। ऐसे पुत्र को । (जन्म देकर सेठानी । ने अपना जीवन (सफल बना लिया है।) पदमनंदि कम सोता है, देर तकजागता हुआ मां से लोरियां सुनता है। सोचता है, हंसता है, तरह-तरह के प्रश्न करता है। इस बात से सेठानी चिंतित होती है । दिनोंदिन उनकी चिन्ता बदती जाती है। और एक दिन रात्रि को सोते समय अपने पति.. नगरसेठ को कहती है देखोजीमुझे पदम बीमार लग रहा है। (ठीक है अभी तुम आराम करो। सुबह देखेंगे। pooooo सेठ ने प्रात: निपुण चिकित्सकों एवं वैद्यों वज्योतिषियों को आमंत्रित कर समस्या से अवगत किया। तथा उन्हें । परीक्षा हेतु कटान CURIRAM परीक्षण के बाद उन्होंने अपने-अपने सुझाव दिए आश्चर्य ! मात्र दो वर्ष की) आयु में अल्पनिद्रा, फिर ) भी पूर्ण स्वस्था Treateecture POLD""

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