Book Title: Karmarth Sutram
Author(s): Labhsagar Gani
Publisher: Agamoddharak Granthmala

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Page 23
________________ आहारक आहारकबंधन, आहारकतैजसबंधन, आहारककार्मणबंधन, अने आहारकतैजसकार्मणबंधन; तथा तैजसतैजसबंधन, कार्मणकार्मणबंधन अने तैजसकार्मणबंधन । संघयण-बज्रऋषभनारायसंहनन, ऋषभनाराचसंहनन, नाराचसंहनन, अर्धनाराचसंहनन, कीलिकासंहनन अने सेवात्तसंहनन । संस्थान-समतुरस्रसंस्थान,न्यग्रोधसंस्थान,सादिसंस्थान, कुब्जसंस्थान, वामन संस्थान अने हुंडकसंस्थान । वर्ण-कालो, लीलो, लाल, पीलो अने सफेद वर्ण । गंध-सुरभिगंध अने दुरभिगंध । रस-तीखो, कडवो, तुरो, खाटो अने मधुर रस । स्पर्श-भारे, हलको, कोमल, कठोर, शीत, उष्ण, चीकणो अने रूक्ष स्पर्श। विहायोगति-शुभ अने अशुभ खगम-विहायोगती । प्रत्येक प्रकृति-अगुरुलघु, उपघात, पराघात, उच्छ्वास, आतप, उद्योत, जिननाम अने निर्माण ए प्रत्येक प्रकृतिओ। इतर-प्रतिपक्षसहित अर्थात्-त्रस अने स्थावर, बादर अने सूक्ष्म, पर्याप्त अने अपर्याप्त, प्रत्येक अने साधारण, स्थिर अने अस्थिर, शुभ अने अशुभ, सुस्वर अने दुःस्वर, आदेय भने अनादेय, यश अने अपयश ए. त्रसदशक अने स्थावरदशक ।

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