Book Title: Karmarth Sutram
Author(s): Labhsagar Gani
Publisher: Agamoddharak Granthmala
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हवे योगना भेद कहे छे
३१. सत्याऽसत्यमिश्रव्यवहारमनोवचनौदा रिकवैक्रियाss - हारक - तन्मिश्रकार्मणानि योगाः ।
मन, वचन अने कायानी क्रिया तेने योग कहें छे, तेना १५ भेदो छ - सत्यमनोयोग, असत्यमनोयोग, मिश्र - सत्यमृषा मनोयोग अने व्यवहार-असत्यामृषामनोयोग, वैक्रियकाययोग, वैक्रियमिश्रकाययोग, आहारककाययोग, आहारकमिश्र काययोग अने कार्मणका योग ।
ed जीवस्थानको मां योग कहे छे३२. अपर्याप्तषट्के कार्मणौदारिकमिश्रौ ।
संक्षि पंचेंद्रिय अपर्याप्त सिवाय बाकीना- सूक्ष्म एकेंद्रिय, बादरएकेंद्रिय, बेइंद्रिय, तेइंद्रिय, चउरिंद्रिय अने असंशिपंचें द्रिय ए छ अपर्याप्ताने विषे कार्मण अने औदारिकमिश्र ए बे काययोग होय छे ।
३३. अपर्याप्तसञ्ज्ञिनः सवैक्रियमिश्रौ ।
संज्ञिअपर्याप्ताने विषे पूर्वोक्त वे योग वैक्रियमिश्र सहित एम त्रण योग होय छे ।
३४. सञ्ज्ञपर्याप्ते सर्वे (योगाः) ।
संक्षिपर्याप्तामां बधा योग होय छे ।
३५. सूक्ष्म औदारिकः ।
३६. चतुर्षु सान्त्यभाषः । ३७. बादरे सवैक्रियतन्मिश्रः ।

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