Book Title: Kalyankarak
Author(s): Ugradityacharya, Vardhaman Parshwanath Shastri
Publisher: Govind Raoji Doshi Solapur

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Page 6
________________ Recene प्रकाशक के दो शब्द, learn EFINIRALA lme P ara मेरे परमपूज्य स्वर्गीय धर्मवीर पिताजीकी बडी इच्छा थी कि यह ग्रंथ शीघ्र प्रकाश में आकर आयुर्वेद जगत् का उपकार हो । परंतु यमराज की निष्ठुरता से उनकी इच्छा पूर्ण नहीं हो सकी । अतः यह कार्य मेरी तरफ आया। उनकी स्मृति में इसका प्रकाशन किया जा रहा है । आशा है कि स्वर्ग में उनकी आत्मा को संतोष होगा । ____श्री. विद्यावाचस्पति पं० वर्धमान पार्श्वनाथ शास्त्री ने इस ग्रंथ का संपादन व अनुवादन किया है। श्री. आयुर्वेदाचार्य पं. अनंतराजेंद्र व वैद्य बिंदुमाधवने संशोधन करने का कष्ट किया है । विस्तृत प्रस्तावना के सुयोग्य लेखक वैद्यपंचानन पं. गंगाधर गुणे शास्त्री हैं । इन सबका मैं आभारी हूं । इसके अलावा जिन धर्मात्मा सज्जनोंने आर्थिक सहयोग दिया है, उनका भी मैं कृतज्ञ हूं। यदि आयुर्वेद प्रेमी विद्वानोंने इस ग्रंथ का उपयोग कर रोगपीडितों को लाभ पहुंचाया तो सबका परिश्रम सफल होगा । इति. गोविंदजी रावजी दोशी. सोलापुर. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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