Book Title: Kalp Samarthanam
Author(s): Purvatanacharya
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

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Page 30
________________ Shri Mahavir in Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Sh Kailassagerul Gyanmandir कल्पसमर्थन ॥२८॥ महुराए जिणदासो आभिरवीवाह गोण उववासो। मंडीरमित्चे बच्चे भत्ते नागोहि यागमणं ॥१॥ वीरवरस्स भगवओ नावारू- || उपसर्गाः दस्स कासि उवसग्गं । मिच्छदिडिपरद्धं कंबलसबला समुत्तारे ॥२॥ गामाग बिहेलगजक्ख तावसी उवसमावसाण थुई। छट्टेण | सालिसीसे विमुज्झमाणस्स लोगोही ॥शादभूमी बहुमिच्छा पेढालजाणमागओ भयवं । पोलासचेइयमि य ठियेगराई महापडिमं| । सक्को अदेवराया सभागओ भणइ हरिसिओ वयणं । तिन्निवि लोग समत्था जिणवीरमणं चलेउं जे ॥५॥ सामाणियसंगमक्खो देवो सक्कस्स सो अमरिसेणं । अह आगओ तुरंतो मिच्छादिट्ठी पडिनिविट्ठो॥६॥धूली पिवीलिआओ२ उइंसा३ चेच तह य उण्होला। विच्छुअ५ सप्पा नउला ७मृसगा चेच८ अङमया ॥१७॥ हत्थी९ हस्थिणिआओ१०पिसायए११घोररूव १२ वग्घे अ१३॥थेरो१४ फेरी अ१५ तहा वागच्छइ पक्कणो य१७ तहा॥८॥खरवाय१८कलंकलिया१९,कालचक्कं२०तहेव य । पाहाइअउवसग्गे, वीसइमो होइ अणुलोमे ॥२॥ सामाणियदेवदि देवो दाएर सो विमाणगओ। भणइ अ वरेहि महरिसि! निष्फत्ती सग्गमुक्रवाणं ॥२॥ ओढयमइविमाणो ताहे वीरं बहुं पसाहेउं । ओहीए निज्झायह वीरो छजीवहिअमेव ॥११॥ छम्माणि गोव कडसलपवेसणं मज्झिमाइ पावाए । खरओ विजओ सिद्धत्थ वाणिओ नीहरावेह ॥१२॥ (सू०११९) 'तेरसमस्स संवच्छर'नि नव किर चाउम्मासे छस्किर दोमासिए उवासीय । चारसय मासियाई बावत्तरि अद्धमासाई ॥१३॥ एग किर छम्मासं दो किर तेमासिए उवासीय । अड्ढाइलाई दुवे दो चेव दिवड्ढमासाई ॥१४॥ भदं च महाभई पडिम | तत्तो अ सव्वओभई । दो चचारि दसेव य दिवसे ठासी अ अणुबद्धं ॥१५॥ गोयरममिग्गहजुयं खमणं छम्मासियं च कासीय । पंचदिवसेहिं ऊणं अवहिओ वत्थनयरीए॥१६॥दस दोय किर महप्पा ठाइ मुणी एगराइयं पडिमं । अट्टममत्तेण जई इकिका चरमरा-10॥२८॥ For Private And Personal Use Only

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