Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 3
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.३
४०५ पे.वि. गा.११. पे.५. शत्रुजयतीर्थ कल्प, आ. धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, (पृ. १४आ-१५आ), आदि: सुअ धम्मकित्तिअन्तं; अंतिः सित्तुजए
सिद्धं., पे.वि. गा.३९. पे:६. गौतमस्वामी रास, उपा. विनयप्रभ, मागु., पद्य, वि. १४१२, (पृ. १५आ-१८अ), आदिः वीर जिणेसर चरण कमल; ___ अंतिः वृद्धि कल्याण करो., पे.वि. गा.४६. पे.-७. पे. नाम. चतुर्विंशतिजिन नमस्कार, पृ. १८अ-२०अ २४ जिन स्तव, आ. सोमप्रभसूरि, सं., पद्य, आदिः प्रथमजिनवरनिखिलनरनाथ; अंतिः प्रचय सकल जगत्रयधीर.,
पे.वि. श्लो.२५. पे.८. पे. नाम. नवकार का बालावबोध, पृ. २०अ-२२अ
नमस्कार महामन्त्र-बालावबोध*, मागु., गद्य, आदिः अरिहन्तनइ माहरउ नमस; अंतिः भणी सिद्ध वडां कहीइं. पे:९. वीतराग प्रार्थना, मागु., गद्य, (पृ. २२अ-२३अ), आदिः हे वीतरागस्वामी माहर; अंतिः माहरउ नमस्कार हुउ. पे-१०. श्रावक २१ गुण, प्रा., पद्य, (पृ. २३अ-२३अ), आदिः धम्मरयणस्स जुग्गो; अंतिः इगवीस गुणेहिं सपन्नो., पे.वि.
गा.३. पे-११.पे. नाम. वार्तुलय विज्ञप्तिका, पृ. २३अ-२३अ
शत्रुजयतीर्थ स्तुति, मागु., पद्य, आदिः विमलाचल मण्डण रिसह; अंतिः अवर न कांई इछिई ए., पे.वि. गा.१. पे.-१२. पे. नाम. महासतामहासती कुलक, पृ. २३अ-२३आ ___ भरहेसर सज्झाय, संबद्ध, प्रा., पद्य, आदिः भरहेसर बाहुबली; अंतिः जस पडहो तिहुयणे सयले., पे.वि. गा.१३. पे.-१३. पे. नाम, पञ्चकल्याणक स्तुति, पृ. २३आ-२३आ
__ कल्लाणकन्द स्तुति, प्रा., पद्य, आदिः कल्लाणकन्दं पढमं; अंतिः अम्ह सया पसत्था., पे.वि. गा.४. १२७५२. श्रुत विचार, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ४९, जैदेना., (२६.५४११.५, १२-१४४४४-५८).
सिद्धान्तहुण्डी, पं. सहजकुशल, प्रा., गद्य, आदि: नमिऊण जिणवराई; अंतिः जिवाणं च बोहित्थं. १२७५३." अढारबोल पत्रोत्तर, संपूर्ण, वि. १६७२, श्रेष्ठ, पृ. ९, जैदेना., प्र.वि. ग्रंथ रचना के समीपवर्ती काल मे लिखित,
(२६४११, १३४५६-६४).
१८ बोल पत्रोत्तर, मागु., गद्य, वि. १६७२, आदिः तत्त्वार्थ ग्रन्थ; अंतिः मुत्तर लिखी मोकलयो. १२७५४." गौतमपृच्छा सह टीका, संपूर्ण, वि. १९वी, श्रेष्ठ, पृ. ११३, जैदेना., प्र.वि. मूल-गा.६४., पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि
सूचक चिह्न, संशोधित, (२६४११, ८-१०x२४-३१). गौतमपृच्छा, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण तित्थनाहं; अंतिः गोयमपुच्छा महत्थावि.
गौतमपृच्छा-टीका, मु. मतिवर्द्धन, सं., गद्य, वि. १७३८, आदिः वीरजिनं प्रणम्यादौ; अंतिः नगर्यां च शुभे दिने. १२७५५. गौतमपृच्छा सह टबार्थ व गाथा, संपूर्ण, वि. १९वी, मध्यम, पृ. ७, पे. २, जैदेना., ले.- ऋ. खेताराम, (२६४११,
६४३५). पे..१. पे. नाम. गौतमपृच्छा सह टबार्थ, पृ. १आ-७अ
गौतमपृच्छा, प्रा., पद्य, आदि: नमिऊण तित्थनाहं; अंतिः गोयमपुच्छा महत्थावि.
गौतमपृच्छा-टबार्थ, मागु., गद्य, आदिः तीर्थनाथ श्रीमहावीर; अंतिः तेणि करी संयुक्त., पे.वि. मूल-गा.६५. पे.२. जैन गाथा *, प्रा., पद्य, (पृ. ७अ-७अ), आदिः#; अंतिः#., पे.वि. प्र.पु.-२. १२७५६. गौतमपृच्छा सह भाषा, संपूर्ण, वि. १५९४, श्रेष्ठ, पृ. ११, जैदेना., ले.स्थल. अहम्मदाबाद, अन्य- गणि
हर्षवृद्धि(तपगच्छ), लिखवा.- गणि अमरहंस(तपगच्छ), प्र.ले.पु. मध्यम, प्र.वि. मूल-गा.६४. गणि हर्षवृद्धि के उपदेश से यह प्रति लिखवाई गयी. *अक्षर माहिती अनियमित है।, (२६.५४११, १२४).
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