Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 3
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 522
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir १८) ४१) संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ ५०५ मूपू.. (ॐकार सकलत) १३७१२-१ (२) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति , आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., गा. २५५०, आदिजिन स्तव, आ. सोमसुन्दरसूरि-शिष्य, सं., श्लोक २४, पद्य, ग्रं.३१००, पद्य, मूपू.. (आभिणिबोहिय) ९७५९(५), १०६४९-२), मूपू., (ऐश्वर्यं) १३७१२-२ १०६७३-१(+), १०७३१-२(+), ११५६८६५), १००४७+), ११५६९(+), आदिजिन स्तव-देउलामण्डण, मु. शुभसुन्दर, प्रा., गा. २४, पद्य, १०७४०-२, ११६०२-२, ९८५४-२, ११००१, ११५७१(5) मूपू.. (जय सुरअसुर) १३५३४ (३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति का भाष्य, प्रा., गा. २५३, पद्य, पू., (२) आदिजिन स्तव-देउलामण्डण-मन्त्राम्नाय अवचूरि, सं.,मागु., (अवरविदेहे) ९७५९(+), १००४७), ११००१, ११५७१(७) गद्य, मूपू., (कियदनुभूतम) १३५३४ (४) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति के भाष्य की लघुटीका#, आ. आदिजिन स्तुति, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू.. (आनन्दानम्र) तिलकाचार्य, सं., गद्य, मूपू.. (-) ११००१ १०९७७-३ (४) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति के भाष्य की टीका#, आ. हरिभद्रसूरि, आदिजिन स्तुति, सं., श्लोक ३, पद्य, मूपू., (जयत्रिभुवन) सं., गद्य, मूपू., (-) ११५६७), ११५७०, ११५९८, १०५५९ १०९८५-५(४६) (४) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति के भाष्य की अवचूर्णि#, आ. आदिजिन स्तुति, सं., श्लोक १, पद्य, मूपू., (प्रथम तीर) १३७१३- ज्ञानसागरसूरि, सं., गद्य, मूपू., (-) ११५७२ २८) (३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति की शिष्यहिता टीका#, आ. आदिजिन स्तुति, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू., (युगादिपुरु) ११६७७- हरिभद्रसूरि, सं., ग्रं.२२०००, गद्य, मूपू., (--) ११५६७), ११५७०, ११५९८, १०५५९ आदिजिन स्तुति, सं., श्लोक १, पद्य, मूपू., (श्रियं दिश) ११६७७- | (३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति की अवचूर्णि#, आ. ज्ञानसागरसूरि, सं., वि. १४४०, गद्य, मूपू., (-) ११५७२ आदिजिन स्तुति-अर्बुदगिरिमण्डन, प्रा., गा. ४, पद्य, मूपू., (३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति का हिस्सा सामायिकअध्ययन नियुक्ति, (वरमुक्तियह) ११६७७-२९(+) । आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., प्रथमअध्ययन, पद्य, मूपू., आदिनाथदेशनोद्धार, प्रा., गा. ८८, पद्य, मूपू., (संसारे नत) (आभिणिबोहिय) १०१५२ १०२५६-३(+), १०९५०-३(+), ११९७६-३(+), १२५८०-२, ११९७५- | (४) विशेषावश्यकभाष्य, आ. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण, प्रा., प्रथम अध्ययन, गा.३६०३, पद्य, मूपू., (कयपवयणप्पण) १०१५२, (२) आदिनाथदेशनोद्धार-बालावबोध, मागु., गद्य, मूपू., (संसारमाहि) १०९५०-३) (५) विशेषावश्यकभाष्य-टीका, आ. कोट्याचार्य, सं., ग्रं.१३७००, (२) आदिनाथदेशनोद्धार-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (संसारमांहि) गद्य, मूपू., (नतविबुधवधू) १००४६६). १००४५ १०२५६-३(+), ११९७६-३(+) (५) विशेषावश्यकभाष्य-शिष्यहिता बृहट्टीका, आ. हेमचन्द्रसूरि आनन्दसमुच्चय योगशास्त्र, समुच्चय, सं., ८ प्रकरण, पद्य, वै., मलधारि, सं., ग्रं.२८०००, वि. १२वी, गद्य, मूपू., (श्रीसिद्धा) (यत्र चित्र) १०४५२-२(+) १०१५२, ११५६६६६) आरम्भसिद्धि, आ. उदयप्रभसूरि, सं., ५ विमर्श, ग्रं.४६०, वि. (३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति की सङ्क्षिप्त गाथाएं, प्रा., पद्य, मूपू., १३वी, पद्य, मूपू.. (ॐ नमः सकल) १०६७१(+), १०६४४ (संवत्सरेण) १११०२-१ (२) आरम्भसिद्धि-सुधीशृङ्गारवार्तिक, गणि हेमहंस, सं., वि. (२) आवश्यकसूत्र-भाष्य, प्रा., पद्य, मूपू., (जह गणहरेहि) १५१४, गद्य, मूपू.. (शं सुखाय) १३४५०+), १०६४४ ११५६९) आराधनापताका प्रकीर्णक, गणि वीरभद्र, प्रा., गा. ९९०, पद्य, (२) आवश्यकसूत्र-टीका#, आ. मलयगिरिसूरि , सं., ग्रं.१८०००, मूपू., (नियसुचरियग) ११६५३-२, ११८२९ गद्य, मूपू.. (पान्तु वः) १००४७+0, ११५६९(+) आरामनन्दन कथा, सं., श्लोक ६०४, पद्य, मूपू., (पुरं लक्ष) (२) आवश्यकसूत्र-लघुवृत्ति#, आ. तिलकाचार्य, सं., ग्रं.१२३२५, १२४७५ वि. १२९६, गद्य, मूपू., (देवः श्रीन) ११००१, ११५७३ आलाप पद्धति, आ. देवसेन, सं., गद्य, दि., (गुणानां वि) (२) आवश्यकसूत्र-शिष्यहिता टीका#, आ. हरिभद्रसूरि, सं., ११२२७+), ११२९९ ग्रं.२२०००, गद्य, मूपू., (प्रणिपत्य) ९७५९(+), ११५६७/+), आवश्यकसूत्र, प्रा., ६ अध्ययन, सूत्र १०५, प+ग, मूपू., (णमो १०६११+5), ११५७०, ११५९८, १०५५९, ११५७१९७) अरहंता) ९७५९(+), ११५९७+), ११६४५९), १००४७+), (३) आवश्यकसूत्र-शिष्यहिता टीका का टिप्पणक, आ. ११५६९), ११००१, ११५७१(5) हेमचन्द्रसूरि मलधारि, सं., ग्रं.४६००, गद्य, मूपू., ३(5) ११५६६(5) For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608