Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 3
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१
११९१४(+), ९९५२ (+$), ९९५४ (+), ९९५५ (+), ९३३०, ९७६१, ११८९३, १००६०, ९३९० (5), ११८८८ ($)
(२) कल्पसूत्र- टवार्थ+ व्याख्यान, मु. देवकुशल, मागु, गद्य, मृपू.. (-) ११८७७) १३००४-जून
(२) कल्पसूत्र - टबार्थ+ व्याख्यान + कथा, आ. सोमविमलसूरि, मागु., गद्य, मूपू., (सकलार्थसिद) १०६०६ (+), ११८९४(+), ९९५१ (+), ९९२९, १०३०१३) ११८८३)
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(२) कल्पसूत्र - हिस्सा सामाचारी अध्ययन, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., अध्ययन आठवाँ, प+ग, (--) - <प्रतहीन > (३) कल्पसूत्र - हिस्सा साधुसामाचारी का सूत्रार्थ, गणि
विमलकीर्ति, सं., आठवां अध्ययन., गद्य, मूपू., ( तस्मिन् का)
११८७१
(२) कल्पसूत्र-गहुंली, मु. ऋषभविजय, मागु., गा. ९, पद्य, मूप्पू., (सवि कल्पसू) १०५१२-१३
(२) कल्पसूत्र - पीठिका, मागु., गद्य, मूपू., (अर्हन्त भग ) ९४७६ (+),
१११३२
(२) कल्पसूत्र-पीठिका, मु. हेमविमलसूरि-शिष्य, मागु., गद्य, मूप्पू., (सकलार्थ सि) ९८६७
"
(२) कल्पसूत्र-पीठिका, सं., गद्य, मृपू. (श्रीकल्पः) १२५१०१) (२) कल्पसूत्र - व्याख्यान + कथा*, मागु., गद्य, मूप्पू., ( नमः श्रीवर) ९९२०४७) १००७९१) १०५पाका १०५७१-११) १०५७९-१११, ११८८४) ९३६२) १०५७/५ १९९०३/० ११८९१
९९५२(+$), ९९५४(+$), ९३३०, १००६०, ९३९० (३), ११८८८ (5), ११८८६ ($)
"
(२) कल्पसूत्र- व्याख्यान+कथा, सं., गद्य, मृपू., (तत्रादी) ९३२९ १०७२५ १०६०६(५)
(२) कल्पसूत्र - व्याख्यान पद्धत्ति, उपा. समयराज, सं., आठवां अध्ययन., वि. १६६२, गद्य, मृपू., (प्रथमजिनः ) ११८७२ कल्पावतंसिकासूत्र, प्रा. १० अध्ययन, गद्य, मृपू. (जति णं भंत) ९९६०-२०) १०८४९-२१०, ११३४८-२०, ११५५४-२००
"
११५९३-२(+), ११५९४-२ (+), ९३१६-२, ११५९५-२, ११५९६-२ (२) कल्पाक्तंसिकासूत्र- टीका, आ. चन्द्रसूरि सं. गद्य, मृपू.. (श्रेणिकनप) १११५०-२०
"
(२) कल्पावतंसिकासूत्र- टबार्थ, मागु., गद्य, मुपू., (जौ हे भगवन ) ९९६०-२१) ११५५४-२ ९३१६-२, ११५९६-२ कल्पिकासूत्र, प्रा. १० अध्ययन गद्य, भूपू (तेणं कालेज) ९९६०१) १०८४९-११), ११३४८- १) ११५५४-११, ११५९३-११),
,
"
११५९४ - १ (+), ९३१६-१, ११५९५-१, ११५९६-१
.
"
(२) कल्पिकासूत्र- टीका, आ. चन्द्रसूरि सं गद्य, भूपू., (पार्श्वनाथ) १११५० १
(२) कल्पिकासूत्र - टवार्थ, मागु, गद्य, मृपू., ( श्रीवीतराग ) ९९६०
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१ (+), ११५५४ - १ (+), ९३१६-१, ११५९६-१ कल्याणमन्दिर स्तोत्र, आ. सिद्धसेनदिवाकर सूरि, सं., श्लोक ४४, पद्य, मृपू., (कल्याणमन्द) ९४६४४० ९५७५११ ९४२२१० ९९१५, ११२८८१ ११६७७-१५) १३५२४) १३६४९११ १३६५० (+), १३६६६ (+), १३६६७(+), १३६६८ (+), ११२१५-१(+), १३६६५ (+), ९७१६, १०८३१, ११९७३-६, १३५२२, १३५२३, १३५२५, १३५४९, १३६६४, १०२०६ (), १३७११-७(M), ९८०६ ११६०४
५१५
(२) कल्याणमन्दिर स्तोत्र- टीका, सं., गद्य, मृपु., (किल इति सम) ११२१५-१
(२) कल्याणमन्दिर स्तोत्र- टीका, मु. कनककुशल, स.नं.६५०. वि. १६५२, गद्य, मूपू., (प्रणम्य पा) १३६६७ (+), १३६६८ (+) (२) कल्याणमन्दिर स्तोत्र- टीका, आ. गुणरत्नसूरि, सं., गद्य, मृपू.. (सर्वज्ञ) ११२८८) १३६५०१) १३६६६ १३५२२.
"
१३५२३
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(२) कल्याणमन्दिर स्तोत्र - टीका, आ. गुणसागरसूरि, सं. ग्रं. २५०, गद्य, मृपू., (यो नित्यं) १३६४९ (+)
(२) कल्याणमन्दिर स्तोत्र- टीका, पाठक हर्षकीर्ति, सं., गद्य, मृपू.. ( श्रीमत्पार) ९४६४(+), ९७२२ (+)
(२) कल्याणमन्दिर स्तोत्र - सौभाग्यमञ्जरी टीका, सं. ग्रं. ३४६, गद्य, मृपू., (किलेति सत) ९७१६, ९८०६४)
(२) कल्याणमन्दिर स्तोत्र-पद्यानुवादचोपाई, कवि बनारसीदास, प्राहिं., गा. ४४चोपाई, पद्य, दि., (परमज्योति ) १०३०३-७(+), १०७३६
(२) कल्याणमन्दिर स्तोत्र-भाषा, मु. जयसागर, मागु., ढाल ४४, गद्य, मूपू., (सकल मङ्गल) १३५२९
(२) कल्याणमन्दिर स्तोत्र- बालावबोध' मागु, गद्य, ग्रुपू.. ( किल इति सम) १३६४९) १३परंप
(२) कल्याणमन्दिर स्तोत्र-टवार्थ, मागु, गद्य, भूपु (केट छे) ९९१५/१३५२४) १०८३१, १३५४९
(२) कल्याणमन्दिर स्तोत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (मङ्गलिकनुं) १०२०६ (#)
(२) कल्याणमन्दिर स्तोत्र- टवार्थ, आ. जिनवर्द्धमानसूरि मागु गद्य, मुपू., ( कल्याण क०) १३६६४ कल्लाणकन्द स्तुति, प्रा., गा. ४, पद्य, मूपू., (कल्लाणकन्द) १३७१३-८(+), १२७५१-१३
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कविशिक्षा, श्रा. अरिसिंह, सं., ४ प्रतान, ईस. १३वी, पद्य, (वाचं नत्वा) - < प्रतहीन. >
(२) कविशिक्षा- काव्यकल्पलतावृत्ति, यति अमरचन्द्र, सं..
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ग्रं. ३३५७, ईस. १३वी गद्य, मृपू (विमृश्य वा ) १३४२३ (३) कविशिक्षा-काव्यकल्पलतावृत्ति पर स्वोपज्ञ परिमल वृत्ति,

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