Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 3
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 542
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट- १ ५ २५ (२) दशाश्रुतस्कन्धसूत्र-जनहिताटीका, मु. ब्रह्मर्षि, सं., ग्रं.३१००, गद्य, मूपू., (यथास्थिताश) ११५५९(+) दीपावलीपर्व कल्प, प्रा., गा. १३७, पद्य, मूपू.. (उप्पायविगम) (२) दशाश्रुतस्कन्धसूत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (वर्द्धमानं) १००१४ ९७४९-१(+), ११५६०(+) (२) दीपावलीपर्व कल्प-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (उप्पन्नेवा) दाडिमादिबीजसङ्ख्याज्ञानविधि श्लोक, मागु.,सं., श्लोक २, १००१४ पद्य, जै., (दाडिम पाक) १३२८१-४(5) दीपावलीपर्व कल्प, आ. जिनसुन्दरसूरि, सं., श्लोक ४३७, दानप्रकाश, गणि कनककुशल, सं., ८ प्रकाश, ग्रं.८३४, वि. ग्रं.१५००, वि. १४८३, पद्य, मूपू., (श्रीवर्द्ध) १०७७६(+), १६५६, पद्य, मूपू.. (श्रीपार्श) १२००४, १२००५ ११२३०+), १२६८२(+), १२६८९-१(+), १२६९०५), १३१७१-२(+), दानप्रदीप, गणि चारित्ररत्न, सं., १२प्रकाश, वि. १४९९, पद्य, १०४२१(+), १०६५३, १२५६१-१, १२६८३, १२६८७-२, १२६९१, मूपू., (श्रीसिद्धि) १२००६(5) १२६९२ दान लक्षण , सं., श्लोक २, पद्य, मूपू., (आनन्दश्रेण) ११५७८-३ । (२) दीपावलीपर्व कल्प-बालावबोध, मागु., गद्य, मपू., (मङ्गलीक दानशीलतपभावना कुलक, मु. अशोकमुनि, प्रा., गा. ५०, पद्य, | दी) ११३९६ जै., (देवाहिदेवं) ९६७५६), १०२९४-१, १२५६६, १३२५७ | (२) दीपावलीपर्व कल्प-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (श्रीमहावीर) (२) दानशीलतपभावना कुलक-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., १२६९१ (देवाधिदेवन) ९६७५(45). १०२९४-१, १२५६६, १३२५७ (२) दीपावलीपर्व कल्प-टबार्थ, गणि सुखसागर, मागु., ग्रं.१२००, दानशीलतपभावना कुलक, आ. देवेन्द्रसूरि, प्रा., गा. २०, पद्य, वि. १७६३, गद्य, मूपू., (अर्हन्त बा) १२६८९-१(+), १२६९०(+), ___ मूपू., (परिहरिय रज) १२५६८(5) १०४२१(+), १०६५३, १२६९२ (२) दानशीलतपभावना कुलक-धर्मरत्नमञ्जूषा टीका, गणि (२) दीपावलीपर्व कल्प-बालावबोध+कथा, मागु., गद्य, मूपू., देवविजय, सं., वि. १६६६, गद्य, मूपू., (-) १२५६८६६) (स्वस्ति) १२६९३ दानादि विषयक दृष्टान्त कथा सङ्ग्रह, प्रा.,सं., गद्य, मूपू., दीपावलीपर्व कल्प, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., श्लोक (वसही सयणास) १२३९३(+), ९६३६+६), १२४८५, १२३९२-२ २७८, पद्य, मूपू.. (सन्तु श्री) १२३७५६५), ९६०७, १२६८०-१ दामनक कथा-जीवदया विषये, सं., गद्य, मूपू., (अत्रैव भरत) दीपावलीपर्वगुणनविधि, सं., गद्य, जै., (ॐ ह्रीं) ९४९३-३ १२४८३-३ दीपावलीपर्व स्तुति, आ. जिनचन्द्रसूरि, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू., दामन्दक कथा, सं., गद्य, मूपू., (राजगृहे नग) १२४७९-५ (पापायां पु) ११६०९-४ दिक्चतुष्कजीवाल्पबहुत्व, प्रा., पद्य, मूपू., (पपुदउकमसो) दुरियरयसमीर स्तोत्र, आ. जिनवल्लभसूरि, प्रा., गा. ४४, पद्य, १११७५-२(45) मूपू.. (दुरिअरयसमी) ११६७७-१३, ११०७२, १२३५५६६), (२) दिक्चतुष्कजीवाल्पबहुत्व-बालावबोध, मागु., गद्य, मूपू., ११६०४-९०) (पश्चिम पूर) १११७५-२(45) (२) दुरिअरयसमीर स्तोत्र-वृत्ति, उपा. समयसुन्दर गणि, सं., दिगम्बरमत विचार, आ. महेन्द्रसूरि, सं., गद्य, मूपू., (तत्र च गद्य, मूपू., (अहं तस्य) ११०७२, १२३५५(#) परि) १३०२१ दुषमकाल श्रीश्रमणसङ्घ स्तव, आ. धर्मघोषसूरि , प्रा., गा. २५, दिग्विजय महाकाव्य, उपा. मेघविजय, सं., सर्ग १३, पद्य, मूपू., पद्य, मूपू., (वीरजिण भुव) १३५४४-२(5) (स्वस्ति) १३४१३६) (२) दुषमकाल श्रीश्रमणसङ्घ स्तव-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., दिनज्ञान श्लोक, सं., श्लोक १, पद्य, मूपू., (तर्जनी) १३२८१- (सिरिजिणनिव) १३५४४-२(5) दृष्टलोकप्रतर, सं.,मागु., यंत्र, मूपू., (-) १२६७५-४ दीपालिका कल्प, आ. विनयचन्द्रसूरि, सं., श्लोक २७८, वि. दृष्टान्तशतक, ऋ. तेजसिङ्घ, सं., श्लोक १०२, पद्य, जै., १३४५, पद्य, मूपू., (श्रीवर्द्ध) १२६८०-२ (नत्वा श्री) १०९४६), १२५९१(+), १२५९३(+), १२९८७(+), दीपावली कल्प, सं., गद्य, मूपू., (इहेव भरतक) १२६७७-३ ९८६६(२) दीपावली कल्प, आ. जिनप्रभसूरि, प्रा., वि. १३८७, गद्य, मूपू., (२) दृष्टान्तशतक-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (नमस्कार कर) (पणमिय वीरं) १२६८८+), १२६८१ १२५९१), १२५९३(+), १०९४६(५), ९८६६(१), १२९८७(+) (२) दीपावली कल्प-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (प्रणाम्म) १२६८८५) | | देवदत्तजयदत्त कथा-परिग्रह विषये, सं., गद्य, जै., (यथा श्रृण) दीपावलीगुणनो, सं.,मागु., ३ मंत्र, गद्य, मूपू., (ॐ ह्रीं) १३१७१- | १२५१२-१०६) २+) For Private And Personal Use Only

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