Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 3
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 524
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ ५०७ (२) प्रतिक्रमणसूत्र सङ्ग्रह-श्वे.मू.पू.', प्रा.,सं.,मागु., प+ग, मूपू., ११५९७), १००७२ (नमो अरिहन) १०००८) (३) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (इह चैत्यवन) (२) प्रतिलेखनबोल गाथा, प्रा., गा. ०५, पद्य, मूपू., (सुतत्थतत्थ) १२७२० १२५६७-३(+) (३) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-अवचूरि, सं., गद्य, मूपू., (इह तावत्) (३) प्रतिलेखनबोल गाथा-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू.. (पहिली ११५७५ पडिल) १२५६७-३(क) (३) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-अवचूर्णि, सं., गद्य, पू., (इह तावत्) (२) प्रत्याख्यानसूत्र, प्रा., पद्य, मूपू., (उग्गए सुरे) ११६७७-३), ११५७६ १११८५-२, ११६००-३, ११६०५-२, ११६०४-२०) (३) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., (अरिहन्तनइ) (२) राइअदेवसी प्रतिक्रमण', प्रा.,गुज., गद्य, मूपू., (-) १०७६६- १०६८८(+) (३) श्रावक पाक्षिक अतिचार-तपागच्छीय, प्रा.,मागु., गद्य, मूपू., (२) राईप्रतिक्रमणनिरूपक गाथा, प्रा., गा. १, पद्य, मूपू., (नाणंमि दंस) १००१५, १०५२२, १०९०६, १२७३०, १२७५१-२, (इरियाकुसुम) ९७८०-३ १२९४०() (२) राईप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय, प्रा.,सं.,गुज., प+ग, (-)- (२) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-खरतरगच्छीय, प्रा.,सं.,मागु., प+ग, <प्रतहीन.> मूपू., (णमो अरिहन) ११६७७-१(+), ११७०५(+), १०९२७-१, (३) भरहेसर सज्झाय, प्रा., गा. १३, पद्य, मूपू.. (भरहेसर बाह) ११६०९-१ ११९७३-१०, १२७५१-१२ (३) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-खरतरगच्छीय-बालावबोध, गणि (४) भरहेसर सज्झाय-वृत्ति, गणि शुभशील, सं., २ अधिकार, वि. मेरुसुन्दर, मागु., वि. १५२५, गद्य, मूपू., (शिवाय श्री) १५०९, गद्य, मूपू., (युगादौ व्य) ९९३६६), १००७३(+) ११७०५(+) (५) भरहेसरबाहुबली-वृत्ति का टबार्थ, गणि हरिरूचि, मागु., गद्य, (२) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय, प्रा., प+ग, मूपू., (नमो मूपू., (युगने आदे) ९९३६६५), १००७३(+) अरिहन) १०३८०+), १०५८५-१५), ११५९९५), १०२३२(+), (२) वन्दित्तुसूत्र, प्रा., गा. ५०, पद्य, मूपू.. (वन्दित्तु) ११७३५17, ११२९४(+), १०३९०(45), १००३१-१, १००९४, १०४८९, ११३६५, ११५८८, ११६१५) ११६०६-१, ११६१३, १२७१०, ११०७०, ११०६२(१), १११००६), (३) वन्दित्तुसूत्र-चूर्णि, आ. विजयसिंहसूरि, प्रा.,सं., ग्रं.४५९०, वि. ११२०७(5) ११८३, गद्य, मूपू., (सिद्धं सिद) ११५८९(+), ११७३५(+), (३) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय-बालावबोध, मागु., गद्य, ११६६० मूपू., (अरिहन्त) ११२९४(+) (३) वन्दित्तुसूत्र-अर्थदीपिका टीका, आ. रत्नशेखरसूरि, सं., ५ (३) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय-बालावबोध, मागु., गद्य, अधिकार, ग्रं.६६४४, वि. १४९६, गद्य, मूपू.. (जयति सततोद) | मूपू., (अरिहन्तनइं) १०३८०+), १०२३२(+), ११२०७(5) १०६०९, ११५८६, १०२४२(5), ११६१५(5) (३) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय-बालावबोध, मु. जिनविजय, (४) वन्दित्तुसूत्र-अर्थदीपिकाटीका का टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., मागु., ग्रं.८०००उभय, वि. १७५१, गद्य, मूपू.. (बार गुणे) (नत्वा पञ्च) ११५८६, ११६१५(७) १०५८५-१६), १०३९०(45) (३) वन्दित्तुसूत्र-लघुटीका, आ. तिलकाचार्य, सं., गद्य, मूपू., (३) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय-बालावबोध, पं. हेमहंस (प्रणिधाय) ११६११-३(+), ११७३६-३, १०५३४-२ गणि, मागु., वि. १५०१, गद्य, मूपू., (श्रेयांसि) ११७०६(५), (३) वन्दित्तुसूत्र-टबार्थ', मागु., गद्य, मूपू., (वन्दितु क०) ११५८८ ११६०१ (२) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र , प्रा.,मागु., प+ग, मूपू., (नमो अरिहं०) | (३) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू., १०६८८), ११५८७), १०९४१-964), ११५७५, ११५७६, (माहरउ नमस) १००९४, १०४८९, ११६१३ १२७२० (३) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-तपागच्छीय-टबार्थ, मु. भीमविमल-शिष्य, (३) श्रावक प्रतिक्रमणसूत्र-वन्दारू टीका, आ. देवेन्द्रसूरि, सं., मागु., गद्य, मूपू., (भीमविमलगुर) १०७४२-१(+) ग्रं.२७२०, गद्य, मूपू., (वृन्दारुत) ११५७४-१(+), ११५८१(4), (२) साधुअतिचार सङ्ग्रह', मागु., गद्य, स्था., (--) १०८०७-१ ११५८७५), ११५९७५), ११६४५(+), १००७२, ११६१६६६) (२) साधुपञ्चप्रतिक्रमणसूत्र-खरतरगच्छीय, प्रा., प+ग, मूपू., (४) श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र-वन्दारू टीका का टबार्थ, मु. देवकुशल, (णमो अरिहन) ११६०४-१०) मागु., वि. १७६१, गद्य, मूपू., (बालानां सु) ११५८७५), | (२) साधुपञ्चप्रतिक्रमणसूत्र सङ्ग्रह-तपागच्छीय, प्रा.,गुज., प+ग, For Private And Personal Use Only

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