Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 3
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 473
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir ४५६ कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची सिद्धहेमशब्दानुशासन, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., गद्य, वि. ११९३, आदिः अहँ सिद्धिः स्याद् ; अंतिःसिद्धहेमशब्दानुशासन-स्वोपज्ञ तत्त्वप्रकाशिका बृहद्धृत्ति, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., गद्य, वि. ११९३, आदिः प्रणम्य परमात्मानं; अंति:१३३२१. सिद्धहेमशब्दानुशासनस्वोपज्ञ लघुवृत्ति-अध्याय ३-४, प्रतिपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. २२, जैदेना., (२६.५४११.५, १५४५४-५६). सिद्धहेमशब्दानुशासन-स्वोपज्ञ लघुवृत्ति, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., गद्य, आदि:-; अंति:१३३२२. सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ५५, जैदेना., ले.स्थल. श्रीपत्तन, ले.- भूपति विप्र, प्र.वि. ग्रं. ३६७५; टीका-अध्याय-७, ग्रं.३६७५, (२६.५४११, १९४५७-६४). सिद्धहेमशब्दानुशासन-लघुढुण्ढिकावृत्ति, आ. मुनिशेखरसूरि, सं., गद्य, आदिः प्रणम्य श्रीमन्महेन; अंतिः च सामर्थ्यमित्यर्थः १३३२३. हेमचन्द्रानुस्मृताश्चुरादयोणितोधातवः, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, पृ. ७, जैदेना., (२५.५४११, १५४५४-५७). धातुपारायण, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, संबद्ध, सं., गद्य, आदिः अहं भू सत्तायां; अंति: बहुलमेतन्निदर्शनम्. १३३२४. धातुपाठ सह स्वोपज्ञ अवचूरि, संपूर्ण, वि. १६६४, श्रेष्ठ, पृ. १३-१(८)+१(९)=१३, जैदेना., ले.- मु. नरपति (गुरु गणि विनयकीर्ति, नागपुरीयतपागच्छ), पठ.- गणि लब्धिसागर-शिष्य (गुरु उपा. लब्धिसागर, बृहत्तपागच्छ), प्र.ले.पु. विस्तृत, प्र.वि. त्रिपाठ, प्र.ले.श्लो. (१५) अदृष्टदोषात् मतिविभ्रमात् च, (२६४११, ६-१०४५५). धातुपारायण, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, संबद्ध, सं., गद्य, आदिः अहँ भू सत्तायां; अंतिः बहुलमेतन्निदर्शनम्. धातुपारायण-अवचूरि, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., गद्य, आदिः इह पूर्वाचार्य; अंतिः धातुनां काचिदवचूरि. १३३२५. धातुपाठ सह स्वोपज्ञ अवचूरि, संपूर्ण, वि. १८वी, श्रेष्ठ, पृ. ९, जैदेना., प्र.वि. त्रिपाठ, (२६४११, ७-८४५६-५९). धातुपारायण, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, संबद्ध, सं., गद्य, आदिः अहँ भू सत्तायां; अंतिः बहुलमेतन्निदर्शनम्. धातुपारायण-अवचूरि, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., गद्य, आदिः इह पूर्वाचार्य; अंतिः इत्याद्यसिद्धं. १३३२६. सिद्धहेमलिङ्गानुशासन, संपूर्ण, वि. १७५९, श्रेष्ठ, पृ. १३, जैदेना., ले.स्थल. कृष्णदुर्ग, पठ.- गणि जगरूप, प्र.वि. अध्याय-८, (२६४११, ७४३४-३८). हैमलिङ्गानुशासन, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, वि. १२वी, आदिः पुल्लिङ्ग कटणथपभमयर; अंतिः लिङ्गानाम्. १३३२७. लिङगानुशासन सह वृत्ति, अपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, प्र. १४३, जैदेना.,प्र.वि. पंचपाठ, संशोधित, पदच्छेद सूचक लकीरें, पू.वि. अंत के पत्र नहीं हैं., (२५४११, ११-१३४२९-४३). हैमलिङ्गानुशासन, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, वि. १२वी, आदिः (१) पुल्लिङ्गं कटणथपभमयर (२) लिङ्गानुशासनमन्तरेण; अंति: हैमलिङ्गानुशासन-दुर्गपदप्रबोधवृत्ति, वा. वल्लभ वाचक, सं., गद्य, वि. १६६१, आदिः स्वस्तिश्री दायकं; अंतिः१३३२८." नामलिङ्गानुशासन स्वोपज्ञवृत्ति, संपूर्ण, वि. १७वी, श्रेष्ठ, प्र. ७८, जैदेना., प्र.वि. ग्रं. ४०००, टिप्पण युक्त विशेष पाठ, पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-वचन विभक्ति संकेत, संशोधित, (२६४१०.५, १५४४३-४९). हैमलिङ्गानुशासन-स्वोपज्ञ विवरण, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., गद्य, आदिः श्रीसिद्धहेमचन्द्र; अंतिः लिङ्गानाम्. १३३३०." हेमनाममाला काण्ड १-५, प्रतिपूर्ण, वि. १७९५, श्रेष्ठ, पृ. ४३, जैदेना., ले.स्थल. जैतारण, ले.- शिवराम, पठ. गङ्गाराम, प्र.वि. पदच्छेद सूचक लकीरें-संधि सूचक चिह्न-वचन विभक्ति संकेत-प्रारंभिक पत्र, संशोधित, (२६४११, १४४४५-४९). अभिधानचिन्तामणि नाममाला, आ. हेमचन्द्रसूरि कलिकालसर्वज्ञ, सं., पद्य, आदिः प्रणिपत्यार्हतः; अंति: For Private And Personal Use Only

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