________________
जिनवाणी संग्रह। परिग्रहत्याग प्रतिमा स्वरूप-चौपाई बस्त्र मात्र रख परिग्रह अन्य, त्याग कर जो व्रतसंपन्न, तापे पुनः मूर्छा परहरै, नवमी प्रतिमा सो भवि धरै ॥८॥
अनुमतत्याग प्रतिमा स्वरूप-चौपाई जो प्रमाण अघमय उपदेश, देय नहीं परको लवलेस, ॥ अरु तसु अनुमोदन भी तजे, सोही दशमी प्रतिमा सजे ॥१०॥
उद्दिष्टत्याग प्रतिमास्वरूप-चौपाईग्यारम थान भेद हैं दोय, इक छुल्लक इक ऐलक सोय, खण्ड वस्त्रधर प्रथम सुजान, युत कोपीनहि दुतिय प्रछान॥११॥ ए ग्रह त्याग मुनिन ढिग रहैं, वा मठ, मन्दिर में निवसहै, उत्तर उदण्ड उचित आहार, करहिं शुद्ध अंत्रायन बार ॥ दोहा-इम सय प्रतिमा एकदश दौल देशव्रत यान,
ग्रह अनुक्रम मूल सह, पाले भवि सुखदान ॥
(४८) श्रावकोंके १७ नियम । १ भोजन,२ अवित बस्तु, ३ गृह, ४ संग्राम, ५ दिशागमन, ६ औषधिविलेपन,७ तांबल,८ पुष्षसुगन्ध, ८ नाच, १० गीतश्रवण ११ स्नान, १२ ब्रह्मचर्य, १३ आभूषण, १४ वस्त्र १५ शय्या, १६ औषध खानी, १७ घोड़ा बैंलादिककी सवारी* ॐ नोट-प्रतिदिन जिम २ चीजोंकी जरूरत हो उसका प्रमाद करे कि भाज यह कहंगा; शेषका प्रतिदिन त्याग करे।