Book Title: Jinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna Author(s): Udayram Vaishnav Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 6
________________ तो सूर का मानवीय धरातल पर श्री कृष्ण की जीवन लीलाओं को उद्घाटित करना। जिनसेनाचार्य का धर्म-दर्शन तथा सूर का भाव-बोध दोनों ही संसार के कल्याणार्थ जिनदीक्षा तथा नर से नारायण की संकल्पना करते हैं। दोनों के मार्ग भिन्न हैं परन्तु लक्ष्य प्रायः समान। दोनों अपने काल और समाज की विडम्बनाओं को आलोकित करते हुए इस युग को एक नवीन दिशा देना चाहते हैं। प्राकृत भारती अपनी शोध-ग्रन्थ प्रकाशन श्रृंखला में श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ, साँचोर के सहयोग से इस अनूठे तुलनात्मक अध्ययन को अपने सुधी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रही है। ... हम डॉ० उदाराम वैष्णन के आभारी हैं कि इस. सुन्दर ग्रन्थ के प्रकाशन का दायित्व उन्होंने हमें सौंपा। चुन्नीलाल बरडिया, अध्यक्ष, श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ, साँचोर ___ म० विनयसागर .. निदेशक, प्राकृत भारती अकादमी, __ जयपुर पी० सी० कानूगो कानूगो छगनलालजी धमण्डीरामजी बोथरा चेरिटेबल ट्रस्ट, साँचोरPage Navigation
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