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पंचाध्यायी (उत्तरार्ध, श्लोक ८१८, ८१९ ) के अनुसार विद्या, मन्त्र आदि के बल द्वारा तथा तप, दान आदि के द्वारा जैनधर्म का उत्कर्ष करना बाह्य प्रभावना अंग है जो मिध्यात्व का उत्कर्ष करते हैं, उनका अपकर्ष करने के लिए जो भी चमत्कारकारक क्रिया है, वह महात्माओं को करनी चाहिए।
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रत्नकरण्ड श्रावकाचार (१/१८) की प्रभाचन्द्रकृत टीका में मंत्र-तंत्र द्वारा चमत्कारप्रदर्शन को भी जिनशासन की प्रभावना का उपाय बतलाया गया है।
भट्ट अकलंक देव ने प्रभावना के स्वरूप एवं उसके उपायों का वर्णन निम्नलिखित शब्दों में किया है- "परमत रूपी खद्योतों के उद्योत को आच्छादित करनेवाली ज्ञानसूर्य की प्रभा से इन्द्र के आसन को कम्पित करनेवाले महोपवास आदि सम्यक् तप से तथा भव्यजन रूपी कमलसमूह को विकसित करने के लिए सूर्यप्रभा के समान जिनपूजा से सद्धर्म को प्रकट करना मोक्षमार्ग की प्रभावना है।" (तत्त्वार्थवार्तिक/
६ / २४ / १२ / ५. ५३० ) ।
इन वचनों का सार यह है कि जिनशासन में उपदिष्ट ज्ञान, तप, दान, जिनपूजा, दया- अनुकम्पा, सहनशीलता, मैत्रीभाव, पवित्र आचरण, विद्या, मंत्र, तंत्र आदि के अतिशय (उत्कृष्टता) को प्रकट कर जिनशासन के माहात्म्य या अतिशय (उत्कृष्टता) की प्रतीति अजैनों को कराना जिनशासन की प्रभावना है ।
हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा जिनशासन के उपर्युक्त गुणों में से किसी भी गुण का अतिशय प्रकट नहीं करती, न ज्ञान का, न दान का, न पूजा का, न अन्य किसी का, क्योंकि वे उसमें दिखाई नहीं देते । उन गुणों का पालन करते हुए दिखाई देनेवाले पुरुषों में ही वे दृष्टिगोचर हो सकते हैं, अतः उनके दर्शन से ही उपर्युक्त गुणों का अतिशय (उत्कृष्टता) प्रकट हो सकता है।
और केवल हेलीकॉप्टर से की जानेवाली पुष्पवर्षा में ऐसा गुण नहीं है, जिसे देखकर अजैनों में जैनधर्म के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो जाय। हेलीकॉप्टर पुष्पवर्षा सर्वथा धर्मनिरपेक्ष है, इसीलिए अन्यधर्मावलम्बी भी उसे कराते हैं। जैसे बैण्डबाजे सर्वथा धर्मनिरपेक्ष हैं, अनेक धर्मों के अनुयायी अपने धार्मिक उत्सवों में बैण्ड बजवाते हैं, किन्तु बैण्ड- संगीत किसी भी धर्म में श्रद्धा उत्पन्न नहीं करता, वैसे ही अनेक धर्मों के अनुयायी हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कराते हैं, किन्तु उसे देखकर दर्शकों के मन में किसी भी धर्म के प्रति आकर्षण उत्पन्न नहीं होता । आकर्षण उत्पन्न होता है केवल बैण्ड के संगीत के प्रति और हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा किये जाने के कुतुहलजनक दृश्य के प्रति
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चूँकि अन्यधर्मावलम्बी भी हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कराते हैं, अतः वह केवल जैनधर्म का कोई विशिष्ट अनुष्ठान नहीं है । इसलिए उसमें जैनधर्म का अतिशय और अन्य धर्मों का अनतिशय प्रकट करनेवाला गुण नहीं है।
इन कारणों से सिद्ध है कि हेलीकॉप्टर से करायी जानेवाली पुष्पवर्षा जिनशासन की प्रभावना का लेशमात्र भी हेतु नहीं है।
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सार यह कि पंचकल्याणकादि धार्मिक उत्सवों में हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कराना प्रमत्तयोगपूर्वक किया जानेवाला आरंभ है, निष्प्रयोजन होने से प्रमादाचरित नामक अनर्थदण्ड है, जिनोपदिष्ट दान, पूजा, तप आदि गुण उसमें दिखाई नहीं देते, अतः वह इनके अतिशय के प्रकाशन में असमर्थ है, तथा अन्यधर्मावलम्बी भी हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कराते हैं, इसलिए वह जैनधर्म का विशिष्ट अनुष्ठान नहीं है अतः उसमें जैनधर्म का अतिशय और अन्यधर्मों का अनतिशय प्रकट करने का गुण नहीं है। इन कारणों से सिद्ध है कि हेलीकॉप्टर पुष्पवर्षा जिनशासन की प्रभावना का हेतु न होकर केवल बहुहिंसा का कारण है। अत एव अकरणीय है, त्याज्य है ।
रतनचन्द्र जैन
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अक्टूबर 2009 जिनभाषित 8
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