Book Title: Jinabhashita 2009 10
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 16
________________ आचार्य शुभचन्द्र और उनका ज्ञानार्णव बसन्तकुमार जैन, मेरठ दिगम्बर मुनि-जगत् में वैसे तो कई शुभचन्द्र हुए | होने का चिन्ह है। अगर मैं इसे जमीन में गाड़ दूं, तो है, किन्तु हम यहाँ जिन शुभचन्द्र का कथन कर रहे | कोई भी इसे उखाड़ नहीं सकता।' राजा ने इशारा किया। हैं, वे एक महान् दिगम्बराचार्य हुए हैं। उन्होंने अपने | तेली ने पूरे जोर से हल जमीन में गाड़ दिया। राजा त्याग और तप से संसार की असारता को बहुत पीछे के सामान्तों ने बहुत जोर लगाया, किन्तु हल नहीं उखाड़ा धकेल कर आत्मतत्त्व को प्राप्त कर महानिर्वाण प्राप्त जा सका। तब राजा ने स्वयं अपने हाथ से उसे उखाड किया है। | कर एक तरफ डाल दिया। आचार्य विश्वभूषण कृत भक्तामर की भूमिका में | तेली देखता ही रहा गया। राजा ने उसी हल को उक्त आचार्य शुभचन्द्र की एक कथा मिलती है। तदनुसार, | अपने पूरे जोर से फिर जमीन में गाड़ दिया और आदेश ग्यारहवीं शताब्दि के आचार्य शुभचन्द्र का जन्म उज्जैन | दिया कि अब है कोई इसे उखाडने वाला? सभी ने के राजा सिंहल की रानी मृगावती के उदर से हुआ। जोर लगाया, किन्तु हल नहीं उखाड़ा जा सका। तब कहते हैं कि ये युगलिया भाई थे। दूसरे भाई का नाम राजकुमार शुभचन्द्र और भर्तृहरि ने निवेदन किया कि था भर्तृहरि। इन्हें वैराग्य कैसे हुआ, इसके बारे में जब | हम इसे उखाड़ना चाहते हैं। तो राजा मुंज को हँसी हम आगे बढ़ते हैं, तो संसार की असारता और राज्यलिप्सा | आ गई इनके बालकत्व पर, किन्तु उपहासपूर्वक उन्हें का एक नंगा नाच हमें दृष्टिगत होता है। कथानक इस अनुमति दे दी। शुभचन्द्र ने अपने बायें हाथ से ही उसे प्रकार है उखाड़ फेंका। भर्तृहरि ने कहा - "पूज्यवर, एक बार राजा 'सिंह' उस वक्त उज्जैन के शासक थे। इनके | इसे फिर गाड़िये अब की बारी मेरी है।" कोई सन्तान नहीं थी। निःसन्तान होने का इन्हें बहुत | राजा मुंज ने प्रकट में तो इनकी सराहना की, दुख था। एक दिन वनक्रीडा को ये जंगल में गए थे, किन्तु अन्दर ही अन्दर घबरा गया। वह सोचने लगा तो लौटते समय इन्हें एक मुंज (एक प्रकार की घास | कहीं दोनों राजकुमार मेरे राज्य को ही उखाड़कर न जिसकी प्रायः रस्सी, बाण, आदि बनाये जाते हैं) के | फेंक दें? झण्ड में एक बालक अँगूठा चसते हए दिखा। तत्काल | राजमहल में आकर राजा ने तुरन्त मंत्री को बुलवाया उसे उठाया और महल में आकर रानी की गोद में रख | और आदेश दिया कि जैसे भी हो, दोनों राजकुमारों को दिया। गूढ-गर्भ की घोषणा एवं पत्र-जन्म की चर्चा सब | जंगल में मरवा दिया जाये। मेरे आदेश का पालन शीघ्र जगह फैल गई। पत्र-जन्मोत्सव मनाया गया। इसका नाम | हो। मंत्री ने इस अन्याय को न करने के लिए राजा रखा गया 'मुंज'। से बार-बार निवेदन किया लेकिन राजा ने न सुनी। कुछ समयोपरान्त रानी ने गर्भधारण किया और मंत्री दोनों राजकुमारों को जंगल में ले गया और समय आने पर एक पत्र को जन्म दिया, जिसका नाम | उनसे सारी बात कह दी। यह भी कहा कि अगर आप रखा गया सिंहल। युवावस्था में सिंहल का विवाह मृगावती | चाहें, तो ऐसे अन्यायी राजा को पराजित कर राज्य प्राप्त नाम की राजकुमारी से हुआ। इस मृगावती रानी ने समय | कर सकते हैं। पाकर युगल पुत्रों को जन्म दिया. जिनमें ज्येष्ठ शभचन्द्र शुभचन्द्र ने कहा- "मन्त्रीजी, नहीं ऐसा नहीं। हम तथा छोटे भर्तहरि हुए। पापपुञ्ज अपने सिर नहीं लेना चाहते। हमने संसार की राजा मुंज एक दिन वनक्रीड़ा को अपने सामन्तों | असारता और राज्यलिप्सा का तांडवनृत्य देख लिया है।"के साथ गए हुए थे। वहाँ उन्होंने एक तेली को अपने | -- और दोनों ही उदास हो, वन की ओर चल दिए। कन्धे पर हल लिये खड़ा देखा। उससे पूछा- 'क्यों भाई, शुभचन्द्र ने तो दैगम्बरी दीक्षा धारण की और भर्तृहरि हल लिये यहाँ क्यों खड़े हो?' उत्तर में तेली ने कहा- | ने तन्त्र-मन्त्रवादी से दीक्षा ले ली। शुभचन्द्र वैराग्य की 'महाराज, मैं आपके नगर का तेली हूँ। हल मेरे बलवान् । ओर अग्रसर हो गए और भर्तृहरि रागमय तप की ओर । अक्टूबर 2009 जिनभाषित 14 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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