Book Title: Jinabhashita 2008 10
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 7
________________ मात्र चर्चा का विषय नहीं है। चर्चा का विषय है, उसे | परभाव-रागादिक विकारी भावों से भिन्न, स्वकीय जीवन में आत्मसात् करने की आवश्यकता है।" | गुणपर्यायों से अभिन्न, अनादि-अनन्त तथा संकल्प और जीव की जब अनादिकालीन ममता जावे, तभी | | विकल्पों के जाल से च्युत आत्मस्वभाव को प्रकट करता समता आती है। पर में ममेदंभाव होना ममता है। जब हुआ शुद्धनय प्रगट होता है। इस शुद्धनय का अवलम्बन तक उसका अभाव नहीं किया जाता, तब तक समता- । लेकर आत्मस्वभाव की ओर जरा झाँको तो सही, ममता माध्यस्थवृत्ति का होना असम्भव है। इस समता को प्राप्त रहती है या चली जाती है? तात्पर्य यह है कि सुख करने का उपाय भी अमृतचन्द्राचार्य ने बतलाया है- | की यदि चाह है, तो जहाँ सुख है, वहाँ खोजो। अवश्य आत्मस्वभावं परभावभिन्नमापूर्णमाद्यन्तविमुक्तमेकम्। | ही उसकी उपलब्धि होगी। विलीनसंकल्पविकल्पजालं प्रकाशयन्शुद्धनयोऽभ्युदेति॥। भगवान् महवीर स्वामी की जय 'सागर में विद्यासागर' से साभार समाचार “सरिता" पत्रिका ने माफी माँगी के बारह छात्रों ने इस वर्ष की लिखित परीक्षा में सफलता ललितपुर। दिल्ली प्रेस की प्रमुख हिन्दी पाक्षिक | प्राप्त की है और अब वे साक्षात्कार की तैयारी कर पत्रिका 'सरिता' ने अपने जुलाई (प्रथम) २००८ के अंक रहें हैं। में 'बावनगजा में हुआ अभिषेक आपत्तियाँ और उत्तर' सुरेश जैन शीर्षक से प्रकाशित संपादकीय में पूज्य उपाध्याय श्री ३०, निशात कॉलोनी, भोपाल १०८ ज्ञानसागर जी महाराज के फोटो के अनावश्यक एक महत्त्वपूर्ण सुधार रूप से प्रकाशन पर बेहद खेद प्रकट किया है। यह प्रातः स्मरणीय सन्त शिरोमणि आचार्य श्री १०८ संभव हुआ है दिल्ली के विश्व जैनसंगठन की सक्रियता | विद्यासागर जी महाराज के जन्म के बारे में कुछ भ्रान्तियाँ सगठन क साक्रय कायकता श्री सजय जन के अनुसार | फैली हई हैं। जब उनके गृहस्थ अवस्था के भाई आदरणीय संगठन ने इसका दिल्ली में तीव्र विरोध किया तथा दिल्ली | श्रीमान महावीर जी मल्लप्पा अष्टगे जी से अभी ज्ञानोदय प्रेस कार्यालय के सामने धरना प्रदर्शन किया तथा अनेक | तीर्थ पर बात हुई तो उनसे जो सही जानकारी मिली, विरोध पत्र भिजवाये। 'सरिता' के जुलाई (प्रथम) २००८ | वह सभी को ज्ञात हो, इस बाबत यहाँ पर दी जा रही के अंक में विश्व जैनसंगठन के विरोधपत्र मिलने के बाद ही खेद प्रकट करने की बात पत्रिका ने लिखी माँ का नाम - श्रीमती मल्लप्पा अष्टगे है, लेकिन दुख है कि रिपोर्ट में प्रकाशित अन्य आपत्तियों ___ माँ का जन्म स्थान - अक्कोड़ ग्राम पर खेद प्रकट करने से पत्रिका ने इंकार कर दिया है। तह. चिक्कोड़ नेन 'संचय' शास्त्री जिला- बेलगाम आई.ए.एस. में चयनित आशिमा को बधाई पिता श्री मल्लप्पा जी श्री एन.के. जैन अभियंता एवं श्रीमती वनिता जैन. का जन्म स्थान - सद्लगा, जिला-बेलगाम (नई दिल्ली) की बेटी आशिमा जैन का इस वर्ष संघ विद्याधर (विद्यासागर) लोकसेवा आयोग द्वारा आई.ए.एस. में चयन किया गया जी का जन्म स्थान - ग्राम-सद्लगा है। उन्होंने पहले ही प्रयास में यह सफलता प्राप्त की तहसील-चिक्कोड, है। निश्चित ही उनकी यह सफलता सराहनीय एवं जिला-बेलगाम अनुकरणीय है। जैन इण्टरनेशनल ट्रेड आर्गेनाईजेशन, | बड़े भाई श्री महावीर जी का फोन- 08338262244 मुम्बई द्वारा नई दिल्ली में स्थापित छात्रावास में लोक सुशीला पाटनी सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में बैठनेवाले छात्रों आर.के. हाउस, मदनगंज-किशनगढ़ (राज.) को सभी सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। इस छात्रावास | सनील जैन अक्टूबर 2008 जिनभाषित 5 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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