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एक विचारणीय पत्र समाज के नाम
सादर जयजिनेन्द्र,
तीर्थराज सम्मेदशिखर के विषय में हम एक बहुत ही गंभीर बात आपके समक्ष विचार व समाधान हेतु प्रस्तुत कर रहे हैं। कृपया मनन करें, चिंतन करें।
आत्मीयजन,
भाव सहित बन्दे जो कोई, ताको आवागमन न होई ।
ये पंक्तियाँ प्रत्येक जैन के हृदय में तरंगित होती हैं एवं हमारी संपूर्ण चेतना इन में श्रद्धा रखती है। जब हम अपने नेत्र बंद कर स्मरण करते हैं, तो सम्पूर्ण तीर्थराज हमारे मस्तिष्क पटल पर जीवंत हो जाता है, किन्तु इसके साथ ही जीवंत हो जाती हैं, वे विकृतियाँ, जो हमारे दुर्भाग्य से न सिर्फ पैदा हो गई हैं, बल्कि तेजी से विस्तार पा रही हैं।
हम जब पर्वतराज पर वंदना हेतु प्रस्थान करते हैं तो प्रारंभ से ही निम्न स्थितियों से रूबरू होते हैं । 1. प्रत्येक 50 कदम पर झोपड़ियाँ बन गई हैं एवं उनमें निवास करनेवाले व्यक्ति प्रातः से ही अपनेअपने दरवाजे पर कटोरा रख भिक्षा हेतु याचना करते हैं। जैन समाज के सभी सदस्य परोपकार की भावना रखते हैं एवं यथासामर्थ्य उनको दान भी देते हैं । उन निवासियों में अण्डा, मांस और मदिरा का प्रचलन सामान्य सी बात है एवं वे वहाँ मुर्गियाँ, बकरियाँ आदि भी पाल रहे हैं। 1
हम दयावश उनकी मदद कर अनजाने में परोक्ष हिंसा एवं पर्वतराज की पवित्रता नष्ट करने में सहायक हो रहे हैं ।
2. हम पर्वतराज की वंदना करने नंगे पैर जाते हैं, वह हमारे लिये सम्पूर्ण श्रद्धा का केन्द्र है, किन्तु पर्वतराज पर निवास करनेवाले पर्वतराज को मल-मूत्र से अपवित्र करते हैं।
3. वर्तमान में किसी भी नगर में अनधिकृत बननेवाली झुग्गियों को अतिक्रमण मुक्त कराने में शासन भी असहाय होता है। पर्वतराज पर झोपड़ियाँ तेजी से बढ़ती जा रही हैं, क्या हम सक्षम हैं कि इन्हें हम वहाँ से हटा सकेंगे, जबकि हम जानते हैं कि हमें इस कार्य हेतु शासन से किसी भी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीं होगी ?
परिणामस्वरूप हम गिरनार जी क्षेत्र जैसा हश्र होने की प्रतीक्षा करते रहेंगे एवं भविष्य में वहाँ वंदना - पूजा-उपासना से वंचित हो जावेंगे और हम मात्र यही कह सकेंगे कि "कभी यहाँ हमारा तीर्थराज हुआ करता था " ।
मनन कीजिये एवं संकल्प लीजिये कि हम वंदना के समय पर्वतराज पर रहनेवाले किसी भी व्यक्ति को दान नहीं देगे। हम उसकी सहायता पर्वतराज से स्थायी रूप से नीचे आने पर ही करेंगे।
हम वंदना के दौरान पर्वतराज पर स्थित दुकानों से कोई भी खाने-पीने की वस्तु (चाय, कोल्ड ड्रिंक, बिस्किट, पकोड़े, ककड़ी आदि) नहीं खरीदेंगे। उनकी आय के स्रोत उनके पर्वतराज से नीचे आने पर ही सुलभ करायेंगे ।
हमारा संकल्प ही पर्वतराज की पवित्रता को बनाये रखेगा एवं उसे पिकनिक स्थल एवं मनोरंजन केन्द्र में परिणित नहीं होने देगा।
मनन एवं संकल्प के निवेदन के साथ निवेदक
अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवक-युवती परिचय सम्मेलन, भोपाल अखिल भारतीय पुलक जन चेतना मंच (रजि.) शाखा - भोपाल श्री पार्श्वनाथ सेवा मण्डल, जवाहर चौक, भोपाल श्री त्रिशला महिला मण्डल, टीन शेड, टी.टी. नगर, भोपाल राष्ट्रीय जैन महिला जागृति मंच (रजि.) शाखा भोपाल
32 अक्टूबर 2008 जिनभाषित
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