Book Title: Jinabhashita 2005 02 03 Author(s): Ratanchand Jain Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra View full book textPage 5
________________ रजि. नं. UP/HIN/29933/24/1/2001-TC फरवरी-मार्च 2005 सम्पादक प्रो. रतनचन्द्र जैन कार्यालय ए/2, मानसरोवर, शाहपुरा भोपाल- 462039 (म.प्र.) फोन नं. 0755-2424666 सहयोगी सम्पादक पं. मूलचन्द्र लुहाड़िया, (मदनगंज किशनगढ़) पं. रतनलाल बैनाड़ा, आगरा डॉ. शीतलचन्द्र जैन, जयपुर डॉ. श्रेयांस कुमार जैन, बड़ौत प्रो. वृषभ प्रसाद जैन, लखनऊ डॉ. सुरेन्द्र जैन 'भारती', बुरहानपुर शिरोमणि संरक्षक श्री रतनलाल कंवरलाल पाटनी (आर. के. मार्बल) किशनगढ़ (राज.) श्री गणेश कुमार राणा, जयपुर प्रकाशक सर्वोदय जैन विद्यापीठ 1/205, प्रोफेसर्स कॉलोनी, आगरा-282002 (उ.प्र.) फोन : 0562-2851428, 2852278 सदस्यता शुल्क 5,00,000रु. 51,000रु. 5,000 रु. 500 रु. 100 रु. शिरोमणि संरक्षक परम संरक्षक संरक्षक आजीवन वार्षिक एक प्रति 10 रु. सदस्यता शुल्क प्रकाशक को भेजें। Jain Education International मासिक जिनभाषित सम्पादकीय ● प्रवचन • देव-मूढ़ता • लेख डाक पंजीयन क्र. - म.प्र. / भोपाल / 588/2003-05 वर्ष 4, • आनंद का स्रोत : आत्मानुशासन • प्राकृतिक चिकित्सा अन्तस्तत्त्व • माँ का स्वास्थ्य एवं • जिज्ञासा समाधान • कविताएँ • पूजन विधि • जैन और हिन्दू • सामयिक चिंतन • स्याद्वादमहाविद्यालय के के सुवर्ण: श्रद्धेय वर्णी जी • जैन संस्कृत महाविद्यालयों, छात्रों की दशा और दिशा मानव की विकृत सोच : ईर्ष्या जानिए कि हम क्या खा रहे हैं • पॉलीथिन प्रदूषण • • स्वास्थ्य के लिए खतरा शरीर संतुलन चिकित्सा पृष्ठ : जैन जीवन के बिना जैन शिक्षा संस्थान अधूरे या बेकाम के • सूरज के तथाकथित पुल • नारी शिक्षा : आ. श्री विद्यासागर जी : आ. श्री देशभूषण जी : पं. हीरालाल शास्त्री : डॉ. ज्योति प्रसाद जैन : मूलचन्द लुहाड़िया अमूर्तशिल्पी, सोलहवानी : ब्र. संदीप 'सरल' • सब कुछ देख आँख मत मींचो • स्वाध्याय For Private & Personal Use Only : डॉ. अनेकान्त कुमार जैन : डॉ. नरेन्द्र जैन 'भारती' : डॉ. अनिल कुमार जैन : डॉ. उमेशचन्द्र अग्रवाल : डॉ. वन्दना जैन पं. रतनलाल बैनाड़ा : योगेन्द्र दिवाकर : प्रो. भागचन्द्र जैन भास्कर विशेष • रीवा दिगम्बर जैन मंदिर ट्रस्ट का रोमाञ्चक पत्र समाचार अङ्क 1 लेखक के विचारों से सम्पादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। जिनभाषित से सम्बन्धित समस्त विवादों के लिए न्याय क्षेत्र भोपाल ही मान्य होगा । 4 आव. पृ. 2 9 - 142 100 11 15 18 19 32880 26 29 33 35 5 00 : सुरेश जैन 'सरल' 40 : क्षु. श्री ध्यानसागर जी आव. पृ. 3 8 6 27, 34, 41-48 एवं आव. पृ.4 www.jainelibrary.orgPage Navigation
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