Book Title: Jinabhashita 2005 02 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 35
________________ प्राकृतिक चिकित्सा माँ का स्वास्थ्य एवं शरीर संतुलन चिकित्सा (बेलेन्स थेरिपि) डॉ. वन्दना जैन आपने कभी ख्याल किया कि आपके उठने, बैठने व सोने | उसके सामने ऊँची आवाज में बात नहीं करेंगी तो बच्चा कभी भी के तरीकों में भी आपके अच्छे स्वास्थ्य का राज दिया हुआ है उसे | नहीं बिगड़ेगा। ही बेलेन्स थेरिपि कहा जाता है। गर्भावस्था के दौरान एवं उसके | बच्चों को गलत तरीके से उठाने से अक्सर वे बीमार पड़ बाद छोटे बच्चों को माँ उठने - बैठने व सोने के सही तरीकों का | जाते हैं उन्हें हमेशा दोनों हाथों से संभालकर उठायें। ज्ञान कराकर उसे जीवन भर के अच्छे स्वास्थ्य की सौगात दे | बालक को सही तरीके से लेटना सिखायें सही करवट सकती है। गर्भावस्था में ही माँ निम्न बातों का ध्यान रखे- लेना सिखायें तथा उसे उल्टा कभी भी न लेटने दें, इसका सीधा शयन : तीसरा महिना प्रारंभ हो और ध्यान रखें कि सीधे | असर उसके हृदय पर पड़ता है, उसका हृदय का बाल्व खराव हो न सोयें, हमेशा करवट से ही सोयें क्योंकि इससे पेट ढीला रहता | जायेगा। सिकुड़ जायेगा या फैल जायेगा। है और पेट पर कोई दवाव नहीं होता है तथा बच्चे को परेशानी बालक यदि सिर के नीचे हाथ रखे तो उसे रोकना है। नहीं होती। सीधा सोने से पेट का हिस्सा थोड़ा सा दबता है | इससे हिस्सीटिया, फेफड़ों में सूजन, पागलपन, आँखों में लालिमा जिससे सही पोषण नहीं हो पाता। आँतों ब मुँह में छाले हो सकते हैं हाथों में बाँध देने से उसकी बैठना : सातवें मास तक पालथी या सुखासन से बैठना | आदत छूट जायेगी। है। तथा सातवें मास के बाद पैर लम्बे करके बैठना है। दीवाल के | दोनों हाथ सिर के ऊपर रखने की आदत जिन्हें होती है वे सहारे से बैठना है, इससे सूजन नहीं होती तथा खून की कमी भी | मोटे हो जाते हैं, खून की कमी, गले में सूजन, फेफड़ों में सूजन नहीं रहती है गर्भवती होने पर पति - पत्नी को दूर रहना चाहिये | हो जाती है, किडनी तक फेल हो सकती है तथा आवाज बंद हो अन्यथा वमन, वमनोद्वेग और श्वेत प्रदर की वृद्धि होती है। इस | सकती है। तरह की उत्तेजना से प्रथम और अंतिम तीन महिनों में गर्भस्राव जिन्हें बाया हाथ सिर के ऊपर रखने की आदत है उन्हें होने की संभावना अधिक रहती है। तथा प्रसव के बाद सत्तिका | खून की कमी, सूजन, श्वांस की बीमारी, हिस्टीटिया पागलपन ज्वर होने की संभावना बढ़ जाती है तथा बच्चे की भी नुकसान | तथा बाल्व सिकुड़ सकता है पैर बांधकर इसे निजात पा सकते हैं। पहुँच सकता है। उसमें विकलांगता आ सकती है। इसी कारण | दाया हाथ सिर के ऊपर रखने की आदत से ब्रेन हैमरेज, इस समय अक्सर उसे मायके ले जाते हैं। फेफड़ों में सूजन, खून की कमी, लीवर, किडनी खराब हो सकती बच्चे के जन्म के बाद दो दिन तक सिर्फ सीधा ही सोना | है। है। करवट से नहीं सोना है, इससे ब्लीडिंग कम होगी, खून की | जिन्हें पैर की अंटी लगाने की आदत है, दाहिने पैर पर कमी रूक जायेगी तथा सिर दर्द नहीं होगा। सीधी सोते-सोते | बायां पैर रखने की आदत है उन्हें पेशाव में रूकावट, घुटनों में थकजाओ तो बैठे जाना है पर करवट न लें। उसके बाद अधिकांश | दर्द, कमर व एडी में दर्द हो सकता है तथा किड़नी व शुगर की समय सीधा सोयें पर १५ दिन बाद करवट भी ले सकते हैं, सीधा | बीमारी हो सकती है। भी सो सकते हैं, पर सही तरीके से। बैठें तो सुखासन से पालथी जिन्हें सिकुड़ कर सोने की आदत है उन्हें रीढ की हड्डी लगाकर और हाथ को टेककर नहीं बैठना है।। व कमर में दर्द हो सकता है। उनके हाथ बांधकर इस आदत को माँ जब बच्चे को दूध पिलाये तो उसके चेहरे पर पल्लू | छुड़वाया जाता है। होना जरूरी है। माँ का भी चेहरा ढ़का होना चाहिये । इससे माँ जिन्हें बार-बार पेशाव जाना पड़ता है उन्हें १० मिनिट एवं बच्चों दोनों का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। तथा उसमें लज्जा के सिर पर हाथ रखकर कुर्सी पर बैठाते हैं इससे काफी आराम भाव आयेंगे उसके संस्कार ठीक रहेंगे, उसे बाहरी वातावरण से मिलता है। उन्हें सिकुड़ कर सोने से बचना है तथा पैरों की अंटी दूर रखना जरूरी है। आप घर पर या घर से बाहर पर पल्लू हमेशा | लगाने से बचना है। ढककर दूध पिलायें। जिन्हें दायीं करवट सोने की आदत है अथवा दाया पैर यदि आपको जीवन भर शांति चाहिये है तो आप ध्यान | आगे डालने की आदत है उन्हें घुटना, कमर दर्द, शुगर, फेफड़े रखें आप ११ दिन गुस्सा न करें तो बच्चा एक साल तक के लिए | तथा पेशाव व दिमागी बीमारी होती है। गुस्सा नहीं करेगा अगर आप ११ साल तक बच्चे को संभाल लेंगी जिन्हें एक हाथ आगे करने की आदत है उनके हार्ट का -फरवरी-मार्च 2005 जिनभाषित 33 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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