Book Title: Jinabhashita 2005 02 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 43
________________ समाचार आर्यिका श्री मृदुमति जी कृत पुस्तकों का विमोचन | विभाग, हवाई विश्वविद्यालय, एवं राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त डॉ. दिनांक १८ फरवरी २००५ को तिलवारा घाट, दयोदय | अनुपम जैन, इन्दौर 26 जनवरी, 2005 को भोपाल पधारे। तीर्थ पर संत शिरोमणि १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी | डॉ. सुलेख जैन भी पुनः भोपाल पधारे। उन्होंने विद्यासागर महाराज ससंघ के सानिध्य में प्रतिभा स्थली' के शिलान्यास | इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट के प्रबंध निदेशक श्री सुरेश जैन के शुभ अवसर पर निम्न पुस्तकों का विमोचन हुआ:- एवं प्राध्यापकों से विस्तृत चर्चा की। 1. 'निरंजनादि पंच शतकावली एवं स्तुति सरोज संग्रह' प्रो. क्रोफर्ड के नेतृत्व में पधारे अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय का विमोचन श्रीमान् अशोक जी पाटनी (आर.के.मार्बल, | जगत के वरिष्ठ विद्वानों ने इंस्टीट्यूट के कार्यकलापों, किशनगढ़) ने किया। गतिविधियों एवं आधारभूत सुविधाओं की सराहना की। 2. 'सर्वोदयादि सप्त शतकावली' का विमोचन श्रीमान | इस दल ने बताया कि विद्यासागर इंस्टीट्यूट अंतरराष्ट्रीय पन्नालाल जी बैनाड़ा, आगरा द्वारा सम्पन्न हुआ। सहयोग एवं होनोलुलु विश्वविद्यालय के सहयोग से शाश्वत 3. 'भक्ति पाठावली' का विमोचन श्रीमान प्रमोदकुमार | नैतिक मूल्यों के आधुनिक ढंग से प्रशिक्षण हेतु पूर्णतया जी सिंघई बिलासपुर एवं श्री संतोषकुमार जी सिंघई अध्यक्ष उपयुक्त संस्थान है। डॉ. क्रोफर्ड एवं डॉ. अनुपम जैन ने कुण्डलपुर सिद्ध क्षेत्र ने संयुक्त रूप से किया। विश्व में जैन धर्म की भूमिका एवं व्यापार एवं प्रबंधन के निर्देशन : प.पू. आर्यिकारत्न श्री १०५ मृदुमति माताजी | क्षेत्र में जैन जीवन मूल्यों के अवदान पर अपने विचार मार्गदर्शन : ब्र.पुष्पादीदी रहली व्यक्त किए। इसके पूर्व श्री सुरेश जैन ने उनका आत्मीय संपादन : अनिल जैन (विजय प्रेस), ललितपुर स्वागत किया एवं संस्थान के सलाहकार श्री एम.के. जैन, महाप्रबंधक, भारत संचार निगम लिमिटेड ने धन्यवाद ज्ञापन अमेरिकन प्रोफेसरों और छात्रों को जैन धर्म का किया। . प्रशिक्षण प्रो. क्रोफर्ड ने अपने भाषण में बताया कि जैन धर्म भारतीय पंरपरा के धर्मों में जैन धर्म प्राचीन धर्म है। आधुनिक, वैज्ञानिक एवं व्यावहारिक धर्म के रूप में दार्शनिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक अध्ययन की दृष्टि से | अंतरराष्ट्रीय जगत में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना रहा है। जैनधर्म, जैनदर्शन , जैन संस्कृति एवं जैनजीवन शैली का | व्यक्तित्व विकास, स्वास्थ्य संरक्षण एवं संबंर्द्धन की दृष्टि से अत्यधिक महत्व है, किंतु अमेरिका एवं कनाडा आदि देशों | शिक्षित व्यक्तियों द्वारा जैन जीवन मूल्य एवं जैन जीवन में स्थित विश्वविद्यालयों के एकेडमिक क्षेत्रों में अध्ययन | पद्धति अपनायी जा रही है। जैन धर्म द्वारा उद्घोषित अहिंसा एवं अध्यापन की दृष्टि से जैनधर्म, जैनदर्शन, जैन संस्कृति | | की आज महती आवश्यकता को आज विश्व में व्यावहारिक एवं जैनजीवन शैली को अन्य धर्मों के संबद्ध विषयों की | वित्तीय एवं मानवीय दृष्टि से स्वीकार किया जा रहा है। प्रो. तुलना में आवश्यक महत्व नहीं दिया जाता है। परिणामतः | अनुपम जैन ने जैन आचार्यों द्वारा गणित एवं प्रबंधन के क्षेत्र आधुनिक ढंग से शिक्षित जैन युवक एवं युवतियाँ तथा जैन | में स्थापित कीर्तिमानों की विस्तृत जानकारी दी। धर्म के अध्ययन-अध्यापन में रूचि रखने वाले छात्र एवं | कार्यक्रम के प्रारंभ में श्रीमती सरोज ललवानी, प्राध्यापक जैन संस्कृति के उच्चस्तरीय बौद्धिक स्त्रोतों का | अध्यक्ष, महावीर इण्टरनेशनल ने प्रो. क्रोफर्ड, डॉ. अनुपम लाभ प्राप्त नहीं कर पाते हैं। अत: यह आवश्यक है कि जैन | जैन एवं डॉ. पाण्डे का परिचय दिया। भोपाल विकास संस्कृति का अध्ययन, प्रचार और प्रसार विश्व के योग्यतम, | प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री कुशलतम, अनुभवी एवं वरिष्ठ प्राध्यापकों द्वारा कराया जाये। अशोक जैन भाभा ने अतिथि प्राध्यपकों को पुस्तकें भेंट इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए विद्यासागर इंस्टीट्यूट | की। ऑफ मैनेजमेंट, भोपाल ने गत वर्ष एम.आई.टी. के वरिष्ठ डॉ. संगीता जैन प्रो. डॉ. सुलेख जैन को अमेरिका से आमंत्रित कर उनसे डी-19/102, माचना कॉलोनी, भोपाल विस्तृत विचार विमर्श कर विचार-पत्र तैयार किया था। इसी नाश के कारण अनुक्रम में इस वर्ष प्रो. क्रोमवैल क्रोफर्ड, अध्यक्ष, धार्मिक | भ्रष्ट मंत्रियों से राज्य की शासन व्यवस्था का नाश -फरवरी-मार्च 2005 जिनभाषित 41 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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