Book Title: Jinabhashita 2005 02 03 Author(s): Ratanchand Jain Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra View full book textPage 9
________________ है कि जब आये थे, तब मात्र एक थैला था । अब छ: थैलों में सामान था एवं वे सामान्य से भारी थे। सामान कार में रखते समय शंका को सबलता मिली। प्रातः का समय ९ बजे होने के कारण मंदिर जी में भक्तों की काफी संख्या थी। समाज के उपस्थित ट्रस्टियों, पंचों तथा अन्यों ने निर्णय लिया कि थैले खोलकर सामान देख लिया जाये। सभी थैलों में ताले लगे थे। चाभियाँ ढूंढने पर एक थैले के बाहरी पॉकेट में मिल गई। समाज के ३५-४० व्यक्तियों के सामने थैले खोले गये, जिनमें निम्न सामग्रियाँ प्राप्त हुईं, जो कि एक निर्ग्रन्थ मुनि के पास होना विचारणीय तो है ही, एक प्रश्नवाचक स्थिति को जन्म देता है : (निम्न सामग्री का लिखित हस्ताक्षरयुक्त पंचनामा ट्रस्ट के पास है) १. नगद राशि रु. ६१७४०/ (इकसठ हजार सात सौ चालीस) पोर्टेबिल कलर टी.व्ही. एक नग (चालू) सी.डी.प्लेयर एक नग (चालू) शोले फिल्म की सी.डी.तीन पार्ट में एक सैट तीन सी.डी. सी.डी. फिल्म आपत्तिजनक (ब्लू फिल्म) एक नग मोबाइल फोन दो नग मुनिश्री साथ ले गये थे, उनके चार्जर दो नग लैन्डलाइन का फोन का इंस्टूमेन्ट जो कि कमरे में उपयोग करते थे - एक नग ८. पीतल की पद्मासन मूर्ति लगभग ५ किलो. १०० ग्राम की भगवान श्री मुनिसुब्रतनाथ की - एक नग (मूर्ति सामान में सामग्री की तरह पैक कर रखी हुई थी अर्थात प्रतिष्ठित या अप्रतिष्ठित शंकास्पद) ९. पेन्ट शर्ट तीन जोड़े १०. रेजर तथा ब्लैड एक सैट ११. पीयर्स साबुन एक नग १२. कैमरे दो नग १३. पानी गरम करने की इमलशन राड दो नग १४. लड़की जो उनके साथ जाती थी, उसके तरोताजा २५० फोटो १५. जंत्र तंत्र के धातुओं की प्लेटें तथा ताबीज बहुतायत में १६. फिल्मी गाने मुनि श्री के हस्तलिखित चुम्मा चुम्मा दे दे आदि। १७. फिल्मी गानों के भरे हुए टेप का कैसेट एक नग। १८. फोन तथा मोबाइल का बिल। १९. मंदिर में रखे, बिना जानकारी के लिए गये अनेक ग्रंथ। २०. कमरों में लगाये गये पर्दे 3 सैट आदि। मुनिश्री के पास तीन मोबाइल फोन रहे हैं, जिसमें से एक मोबाइल उक्त लड़की को दे दिया गया था तथा अपने एक मोबाइल से जिसका कि नंबर सार्वजनिक नहीं किया गया था, आपस में दोनों कन्नड़ भाषा में चर्चा किया करते थे। अन्य सामान में तीन अतिरिक्त बनी बनाई पिछी पाई गईं। तीन पिछी के होते हुए २५०० मोर पंख मँगाये गये, जो कि उसी स्वरूप में (बिना पिछी बने) रखे थे। उपरोक्त सामान सभी उपस्थित जनों ने देखा तथा मुनि आचरण के प्रतिकूल आपत्तिजनक सामग्री का हस्ताक्षर युक्त पंचनामा कर, ट्रस्ट की सुपुर्दगी में दिया गया तथा शेष सामग्री थैलों में भरकर तथाकथित मुनिश्री के पास भेज दी गई। दिनांक २१.१२.०४ (गमन के प्रथम दिन ही) मुनिश्री को सामान खोले जाने की जानकारी मार्ग में हो गई। तो वे मार्ग से वापस रीवा आने लगे। रीवा नगर में यह परिदृश्य मीडिया के प्रचार प्रसार की सामग्री न बने, इस हेतु ट्रस्ट पदाधिकारी, सदस्य, पंच, श्रावक तथा युवक मंडल के सदस्य आदि मुनिश्री से भेंट करने गये त गहन गंभीर चर्चा हुई । कपड़े पहनने का आग्रह किया गया। मुनिश्री ने सभी सामग्री मय आपत्तिजनक सामग्री के, उन्हीं -फरवरी-मार्च 2005 जिनभाषित 7 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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