Book Title: Janak Nandini Sita
Author(s): 
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 12
________________ वह अयोध्या पहुंचा वहां सीता अपने भाई भामण्डल को देख हर्षित होकर मिली। हे भाई मैंने तुम्हे प्रथम बार ही देखा है। 06. श्रीराम लक्ष्मण भी भामण्डल से मिले । समाचार पाकर राजा जनक भी सपरिवार आगये। सर्वत्र आनन्द उत्सव मनाया गया। कुछ समय बाद महाराज दशरथ को सर्वभूतहित मुनिराज के उपदेश से वैराग्य उत्पन्न हो गया, उन्होंने श्रीराम को योग्य समझ कर राज्यतिलक करना चाहा परन्तु रानी कैकई के वचन से भरत को राज्य दिया। श्रीराम पिता की आज्ञा लेकर वन को चले तब लक्ष्मण व सीता ने श्रीराम के साथ वन में प्रस्थान किया हे प्रभो! मुझ पर कृपा करो। ये राज्य आप करो। मैं आप के सिर पर छत्र लगाऊंगा। शत्रुघ्न चंवर ढारेगा और लक्ष्मण मंत्री पद धारेगा। मेरी माता पश्चाताप रूपी अग्नि जल रही है। आपकी माता और लक्ष्मण की माता महाशोक में डूबी हुई हैं। 노산단 ट QUAN भरत को हृदय से लगाकर, बहुत दिलासा देकर बड़ी मुश्किल से अयोध्या भेजा 10 माता की आज्ञा लेकर भरत राम-सीता व लक्ष्मण को वन से वापस लाने वन में गये। श्रीराम के चरणों में लिपट कर निवेदन किया। हे भाई! तुम चिन्ता मत करो पिता की आज्ञा पालन तुम्हारा हमारा सबका परम कर्त्तव्य है। 놀이 it 33 जनक नन्दनी सीता

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