________________
युद्ध में राम, लक्ष्मण को सेना सहित शस्त्र रहित कर दिया। पता | |सबने कही। आप आज्ञा करोगे सो ही होगा- सब देश के राजा बुलाये। चलने पर श्रीराम ने दोनो भाईयों को छाती से लगाया । उनको लेकर बालवृद्ध स्त्री परिवार सहित अयोध्या नगरी आये। राम की आज्ञा, से अयोध्या पहुंचे। वहां सबने श्रीराम से निवेदन किया, सीता निर्दोष | |भामण्डल, विभीषण, हनुमान ये बड़े-बड़े राजा पुण्डरीकपुरी गये। जानकी है. उसे वापस बुलाओ। तब श्रीराम ने कहा। मैं सीता को शीलाक पास जाकर प्रणाम कर 770
के पास जाकर प्रणाम कर आंगन में बैठे- तब सीता आंसू ढारती कहने दोष रहित जानता हूँ। वह उत्तमचित्त है, परन्तु लोकापवाद से लगी। दुर्जनों के वचन रूपी हे देवि! अब शोक तजो घर से निकाली है। अब कैसे बुलाऊं? इसलिए लोगों में प्रतीति |दावानल से दग्ध हुए हैं अंग| अपना मन समाधान की उपजाय कर जानकी आवे तब हमारा सहवास होय। अन्यथा
||मेरे सो क्षीर सागर के जल से [बात में लगाओ। कैसे होय, इसलिए सब देश के राजा, विद्याधर, भूमिगोचर आवें।||सींचने से भी शीतल नहीं होंगे।। सबके देखते सीता दिव्य लेकर शुद्ध होय मेरे घर में प्रवेश करे।
Ke
IMAZATO
यह पुष्पक विमान श्रीरामचंद्र ने भेजा है। हाथी पर सवार होकर सखियों सहित दरबार में पहुंची। सब सभा विनय संयुक्त सीता उस पर आनन्द रूप होकर अयोध्या चलो।। को देख वंदना करने लगी।
हे माता! सदा जयवंत हो वो। वन्दो, वरधो, फूलो फलो सब देश और नगर और श्रीराम का घर
धन्य है यह रूप, धन्य है धैर्य, धन्य है सत्य, तुम बिना शोभा नहीं देता। तुम्हें अवश्य
धन्य है यह ज्योति, धन्य है निर्मलता। पति का वचन मानना है।
GORTAL
15
IFA जब ऐसा कहा तब सीता मुख्य सहेलियों को लेकर पुष्पक विमान ने आरूढ हो| | ऐसे वचन समस्त नर-नारी के मुख से निकले सभी पलक रहित महाकौतुक कर शीघ्र ही अयोध्यापुरी आई। सीता के दर्शन करते रहे। पुण्योदय से जनक सुता वापस आई।
जनक नन्दनी सीता
30