Book Title: Jain Vidya 13
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 62
________________ 52. ] [ जनविद्या-13 की। उन्होंने अहिंसा के साथ ही स्वास्थ्य के आधार पर भी रात्रि-भोजन से विरत रहने की पेशकश की। ___ इस प्रकार आचार्य अमितगति की धर्मपरीक्षा व्यंग्यप्रधान काव्यों में अपना एक विशिष्ट स्थान रखती है । इसमें पाख्यानों के साथ ही जनदर्शन को भी बड़े ही मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत किया है । शैली की दृष्टि से इसे एक नया प्रयोग कहा जा सकता है । धूर्ताख्यान की परम्परा में धर्मपरीक्षा को जोड़कर यदि हम देखें तो हम इसका सही मूल्यांकन कर सकते हैं।

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