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षोडश परिच्छेद
विषय
रामचन्द्र का लंका प्रवेश और उसकी समीक्षा
अमितगति ने इसे बिल्कुल छोड़ दिया है ।
समीक्षात्मक समापन तथा
विट्ठखादन कथा और उसकी
समीक्षा
दधिमुख और जरासंघ कथा
और उसकी समीक्षा यहाँ यह वर्णन नहीं है ।
वैदिक पुराणों की समीक्षा तथा बलि और रावरण का
प्रसंग
धर्म का महत्व
सप्तदशम् परिच्छेद इस परिच्छेद में वेदों की
धर्मपरीक्षा
(अमितगति)
15.95-98
16.1-21
16.22-57
16.58-84
16.85-93
16.94-100
16.101-104
अपौरुषेयता, जातिवाद, स्नानवाद, भूतत्ववाद, अकर्मवाद, सृष्टिकर्तृत्व श्रादि का खण्डन है और आत्मा का अस्तित्व, कर्मवाद आदि की
सिद्धि है ।
17.1-100
प्रष्टादशम् परिच्छेद चौदह कुलकरों में ऋषभदेव का 18.1-84
वर्णन
[ जैनविद्या- 13
धम्मपरिवखा
(हरिषेण)
8.10-11
यहाँ समीक्षा अधिक विस्तृत है।
8.12-22 यहाँ
विद्याधर, राक्षस
और वानरवंश की उत्पत्तिकथा वरिणत
है ।
9. 1-5 यहाँ
समीक्षा विस्तृत है ।
9.6-10
9 13 देवशास्त्र
गुरु का वर्णन
9 14-17
15.18-25 यहाँ धर्म का महत्व विस्तार से किया है ।
हरिषेण ने इसे छोड़ दिया है ।
10.1-10