________________
जनविद्या-13 ]
[ 83
1.3
पूर्वकाल में कवि चक्रवर्ती, गुणवान्, नयवन्त, धीरसेन हुए जिनके द्वारा सम्यक्त्वियों के लिए धर्म से रंजित सुन्दर प्रमाणग्रन्थ रचा गया। बहुत गुणी और यशस्वी देवनंदि हुए जिन्होंने जैनेन्द्र व्याकरण प्रकट किया। सुप्रसिद्ध मुनिवर वज्रसूर्य (सूरि) हुए जिनके द्वारा सुन्दर प्रमाण ग्रन्थ बनाया गया। मुनि महसेण (महासेन द्वारा सुलोचना, मुनि रविषेण द्वारा पद्मचरित, जिनसेन द्वारा पवित्र हरिवंश, जटिल मुनि द्वारा नवरंग-चरित्र, दिनकरसेन द्वारा अनंग-चरित्र, पद्मसेन प्राचार्य द्वारा पार्श्वनाथ-चरित्र की, अंब्बसेन द्वारा दोषरहित सुशोभन अमृताराधना की रचना की गई । मनोहर, पापरहित और सुन्दर चन्द्रप्रभ जिन का चरित्र धनदत्त ने, कुमार (माइं=उमासे, रुह-उत्पन्न, पुत्तइ पुत्र द्वारा अर्थात् कार्तिकेय या कुमार द्वारा) और विष्णुसेनाचार्य ने अन्य भी चरित्र ग्रन्थ बनाये, सिंहनंदी गुरु द्वारा अनुप्रेक्षा, नरदेव द्वारा अलौकिक नवकार (मन्त्र), और जिनसिद्धसेन द्वारा भूतकाल में गेय, सुन्दर भविकविनोद प्रकाशित किया गया, रामनन्दी जिन्होंने जिनशासन में अनेक प्रकार के प्रमुख कथानकों की रचना की, जिन महाकवि असग ने सुमनोहारी तथा सुन्दर वीरजिनेन्द्र-चरित्र रचा, सुकवि गुणाकर के लिए मैं कितना (क्या) कहूं जिन्होंने सुन्दर गेय काव्य की रचना की, प्रवर श्वेताम्बर कवि गोविन्द ने मनोहर सनत्कुमार (ग्रन्थ) रचा, तथा जिनके द्वारा सम्पूर्ण वाङमय की रक्षा की गई और जिनका धवल यश भुवन (लोक) में विख्यात है ऐसे कवि शालिभद्र ने जीवउद्योत् की रचना की, लोक में प्रसिद्ध चतुर्मुख और द्रोण जिन्होंने अकेले ही जिनशासन की प्रमावना की ऐसे निर्मल यशवाले महाकवि सेदु, जिन्होंने मुनिवरों और नरवरों द्वारा प्रशंसित पद्मचरित को लोक में प्रकाशित किया । मैं जड़ हूँ तो भी किञ्चित् कहता हूँ, महीतल पर निजबुद्धि को प्रकट करता हूँ।
• घत्ता-हजारों किरणोंवाला सूर्य निश्चय ही आकाश पर चढ़कर सम्पूर्ण अंधेरे का नाश करता है और मणि अपनी शक्ति के अनुसार अंधेरे का नाश करती है (इसलिए) यद्यपि अत्यल्प बुद्धि हो तो भी उद्योत करने का प्रयत्न करता है ।।3।।
1.4
___ इस संसार में प्राचीन चरित्र तो हैं, बहुत सी कथानों से संयुक्त भी हैं, प्रसिद्ध ग्रन्थ भी बहुत हैं तो भी धीर चित्त करके मैं यह रचना कर रहा हूं जिससे कि विरोधी धूर्त की बर्थी मैं नहीं पाऊँ (अर्थात् विरोधी लोग मुझ पर आक्रमण नहीं कर सकें) । मूर्ख लोग बोलते