Book Title: Jain Vidya 13
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 66
________________ 56 । [ जनविद्या-13 विषय धर्मपरीक्षा (अमितगति) धम्मपरिक्खा (हरिषेण) चतुर्थ परिच्छेद 4.1-39 षोडश मुक्कि न्याय का विश्लेषण दस मूढों की कथा रक्तमूढ कथा (1) 2.7-8 2.9 4.40-46 4.47-95 2.10-16 पंचम परिच्छेद . यहां नारी के स्वभाव का वर्णन- 5.1-76 2.10-16 विस्तार है जिसे हरिषेण ने छोड़ यहां नारी स्वभाव का दिया है, कुछ विषय-चतुर्थ परिच्छेद वर्णन नहीं तथा धर्ममें भी हैं अतः परिच्छेद का समापन परीक्षा जैसा बीच में उचित नहीं है। ही सन्धि विच्छेद नहीं। संसार का विस्तृत चित्रण और : 5.77-97 2.16-17 द्विष्टमूढ कथा (2) संसार का संक्षिप्त चित्रण है। षष्ठ परिच्छेद 6.1-95 2.18-23 मनोमूढ कथा (3), यहां भी संसार का चित्रण है, नारी और कामुकता का भी सप्तम परिच्छेद 2.24 3.1 व्युद्ग्राही मूढ-कथा (4) पित्त दूषितमूढ-कथा (5) आम्रमूढ-कथा (6) क्षीरमूढ-कथा (7) 7.1-19 7.20-28 7.29-62 7.63-96 3.2-3 3.4-6 अष्टम परिच्छेद 8.1-9 3.7 अगुरु मूढ-कथा (8) धन की महिमा 8.10-21 3.8 विस्तार नहीं 8.22-49 3.9-10 चन्दन का खेत काटना, बैचेन और दुःखी होना धन्दनत्यागी मूर्ख की कथा (9) चार मूों की कथा (10) 3.11 8.50-91 8.92-95 3.12-13

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