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[ जनविद्या-13
विषय
धर्मपरीक्षा (अमितगति)
धम्मपरिक्खा (हरिषेण)
चतुर्थ परिच्छेद
4.1-39
षोडश मुक्कि न्याय का विश्लेषण दस मूढों की कथा रक्तमूढ कथा (1)
2.7-8 2.9
4.40-46 4.47-95
2.10-16
पंचम परिच्छेद . यहां नारी के स्वभाव का वर्णन- 5.1-76 2.10-16 विस्तार है जिसे हरिषेण ने छोड़
यहां नारी स्वभाव का दिया है, कुछ विषय-चतुर्थ परिच्छेद वर्णन नहीं तथा धर्ममें भी हैं अतः परिच्छेद का समापन परीक्षा जैसा बीच में उचित नहीं है।
ही सन्धि विच्छेद
नहीं। संसार का विस्तृत चित्रण और : 5.77-97 2.16-17 द्विष्टमूढ कथा (2)
संसार का संक्षिप्त
चित्रण है।
षष्ठ परिच्छेद
6.1-95
2.18-23
मनोमूढ कथा (3), यहां भी संसार का चित्रण है, नारी और कामुकता का भी
सप्तम परिच्छेद
2.24
3.1
व्युद्ग्राही मूढ-कथा (4) पित्त दूषितमूढ-कथा (5) आम्रमूढ-कथा (6) क्षीरमूढ-कथा (7)
7.1-19 7.20-28 7.29-62 7.63-96
3.2-3
3.4-6
अष्टम परिच्छेद
8.1-9
3.7
अगुरु मूढ-कथा (8) धन की महिमा
8.10-21
3.8 विस्तार नहीं
8.22-49
3.9-10
चन्दन का खेत काटना, बैचेन और दुःखी होना धन्दनत्यागी मूर्ख की कथा (9) चार मूों की कथा (10)
3.11
8.50-91 8.92-95
3.12-13