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________________ जनविद्या-13 ] [ 57 धम्मपरिक्खा (हरिषेण) 3.14 नवम परिच्छेद विषय धर्मपरीक्षा (अमितगति) प्रथम मूर्खकथा-मूषक द्वारा प्रांख 9.1-20 का जलाया जाना द्वितीय मूर्खकथा-दोनों पत्नियों ने 9.21-43 दोनों पैर तोड़ दिये तृतीय मूर्खकथा-अपनी सम्पत्ति 9.44-49 चोरों में लुटा देना चतुर्थ मूर्खकथा-गल्लस्फोट 9.50-95 3.15 3.16 3.17-19 दशम परिच्छेद 10.1-20-40 3.20-21 मनोवेग का प्रश्न और विष्णु पर प्रश्नचिह्न ब्राह्मणों का निरुत्तर हो जाना विष्णुकथा मार्जार बेचने जाना और मार्जार के गुण-दोषों को बताना 10.41-51 10.52-65 3.22 4.1-2 10.66-100 4.3-6 4.7-8 यहाँ गंगा का प्रसंग विस्तार से है। 4.10-12 4.13-16 एकादशम परिच्छेद मण्डप कौशिक कथा, यहां 11.1-8-25 गंगा का प्रसंग मात्र एक श्लोक में है विष्णु की कामुकता और कृष्ण 11.26-28 का सुन्दररूप ब्रह्मा और तिलोत्तमा का 11.29-47 प्रेमसम्बन्ध ब्रह्मा ने महादेव को शाप दिया 11.48-58 ब्रह्मा के रीछनी से जांबव नामक 11.59-65 पुत्र, इन्द्र ने भी गौतम ऋषि की पत्नी का उपभोग किया। यमराज और अग्नि ने छाया 11.66-82 का उपभोग किया 4.17 4.18 4.19
SR No.524761
Book TitleJain Vidya 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravinchandra Jain & Others
PublisherJain Vidya Samsthan
Publication Year1993
Total Pages102
LanguageSanskrit, Prakrit, Hindi
ClassificationMagazine, India_Jain Vidya, & India
File Size8 MB
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