Book Title: Jain Tattva Darshan Part 03
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 6
________________ इन अभ्यास पुस्तिकाओं द्वारा "जैन तत्त्व दर्शन (भाग 1 से 9), कलाकृत्ति (भाग 1-3), दो प्रतिक्रमण, पांच प्रतिक्रमण, पर्युषण आराधना'' पुस्तक आदि के माध्यम से अभ्यार्थीयों को सहजता अनुभव होगी। इन पुस्तकों के संकलन एवं प्रकाशन में चेन्नई महानगर में चातुर्मास हेतु पधारे, पूज्य गुरु भगवंतों से समयसमय पर आवश्यक एवं उपयोगी निर्देश निरंतर मिलते रहे हैं। संस्कार वाटिका की प्रगति के लिए अत्यंत लाभकारी निर्देश भी उनसे मिलते रहे हैं। हमारे प्रबल पुण्योदय से इस पाठ्यक्रम के प्रकाशन एवं संकलन में विविध समुदाय के आचार्य भगवंत, मुनि भगवंत, अध्यापक, अध्यापिका, लाभार्थी परिवार, श्रुत ज्ञान पिपासु आदि का पुस्तक मुद्रण में अमूल्य सहयोग मिला तदर्थ धन्यवाद । आपका सुन्दर सहकार अविस्मरणीय रहेगा। इस पुस्तक के मुद्रक जगावत प्रिंटर्स धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने समय पर पुस्तकों को प्रकाशित करने में सहयोग दिया। इस पुस्तक को नौ विभागों में तैयार करने में विविध पुस्तकों का आधार लिया है, एवं नामी-अनामी चित्रकारों के चित्र लिये गये है। अत: उन पुस्तकों के लेखक, संपादक, प्रकाशकों के हम सदा ऋणी रहेंगे... इस पुस्तक में कोई भूल-त्रुटि हो तो सुज्ञ वाचकगण सुधार लेंवे। इस पुस्तक के लेखन, संपादन, प्रकाशन में कही पर भी तरणतारणहार जिनाज्ञा विरुद्ध कुछ भी लिखा हो तो त्रिविधे त्रिविधे मिच्छामि दुक्कड़म्'। अंत में इस पुस्तक के माध्यम से बालक, बालिका सुपवित्र आचरण एवं शोभास्पद व्यवहार द्वारा स्व-पर के जीवन को सुशोभित बनाकर जिनशासन के गरिमापूर्ण ध्वज को ऊँचे आकाश तक लहरायें , यही शुभकामना। भेजिये आपके लाल को, सचे जैन हम बनायेंगे। दुनिया पूजेगी उनको, इतना महान बनायेंगे। जिनशासन सेवानुरागी श्री वर्धमान जैन मंडल साहुकारपेट, चेन्नई-79. नम्र विनंती : समस्त आचार्य भगवंत, मुनि भगवंत, पाठशाला के अध्यापक-अध्यापिकाओं एवं श्रुत ज्ञान पिपासुओं से नम्र विनंती है कि इन पाठ्यक्रमों के उत्थान हेतु कोई भी विषय या सुझाव अगर आपके पास हो तो हमें अवश्य लिखकर भेजें ताकि हम इसे और भी सुंदर बना सकें।

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