Book Title: Jain Tattva Darshan Part 03
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

Previous | Next

Page 48
________________ संपज्जऊ मह एअंतुह नाह पणाम करणेणं SAMPAJJAU MAHA EAM, TUHA NAHA! PAŅĀMA KARAŅEŅAM || 4 || सर्व मंगल मांगल्यं, सर्व कल्याण कारणम् SARVA-MANGALA-MANGALYAM, SARVA-KALYANA-KARANAM प्रधाणं सर्व धर्माणां, जैन जयति शासनम् PRADHÃNAM SARVA DHARMÄNĀM. JAINAM JAYATI SHÄSANAM 11 5 || भावार्थ: इस सूत्र द्वारा प्रभु से आत्म कल्याण के लिए निर्दोष एंव उत्तम तेरह प्रार्थनायें की गयी है। Explanation: By this sootra the request is made to the prabhu for 13 best virtues. 20. अरिहंत चेइयाणं सूत्र ARIHANTA CHEIYANAM SOOTRA अरिहंत चेइयाणं करेमि काउस्सग्गं ARIHAŅTA CHE'IYĀŅAM, KARE'MI KÄUSSAGGAM वंदण-वत्तिआए, पूअण-वत्तिआए VANDANA-VATTIYAE, POOANA-VATTIYAE' सक्कार-वत्तिआए, सम्माण-वत्तिआए SAKKARA-VATTIYAE, SAMMANA-VATTIYAE' बोहिलाभ-वत्तिआए, निरुवसग्ग-वत्तिआए BOHILABHA-VATTIYAE', NIRUVASAGGA-VATTIYAE' || 1 || सद्धाए, मेहाए, धीईए, SADDHÃE', ME'HÃE', DHIIE' धारणाए, अणुप्पेहाए, वढमाणीए DHĀRAŅÃE', ANUPPE'HÃÈ', VADDHAMĀŅIE' ठामि काउस्सग्गं (अन्नत्थ......) THAMI KAUSSAGGAM (ANNATHA......) ||2|| भावार्थ: इस सूत्र में जिन प्रतिमाओं की आराधना के लिए काउस्सग्ग करते समय की भावनाओं का वर्णन है। Explanation: In this sootra, there is description of the emotions while performing the kaussagga for the adoration of the JINA idols. B. पच्चक्खाण 1. मुट्ठिसहि पच्चक्रवाण मुट्ठिसहिअं पच्चक्खाई (लेने वाले बोले पच्चक्खामि) चउव्विहंपि आहारं, असणं, पाणं, खाइमं, साहमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरह ।। (लेने वाले बोले वोसिरामी) ( पानी पीने के बाद उठते वक्त यह पच्चक्खाण लेना चाहिए।) 46

Loading...

Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60