Book Title: Jain Tattva Darshan Part 03
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

Previous | Next

Page 5
________________ इसी उद्देश्य के साथ वि.सं. 2062 (14 अप्रेल 2006) में 375 बच्चों के साथ चेन्नई महानगर के साहुकारपेट में "श्री वर्धमान जैन मंडल' ने संस्कार वाटिका के रूप में जिस बीज को बोया था, वह बीज आज वटवृक्ष के सदृश्य लहरा रहा है। आज हर बच्चा यहां आकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता है। पंडित भूषण पंडितवर्य श्री कुंवरजीभाई दोसी, जिनका हमारे मंडल पर असीम उपकार है उनके स्वर्गवास के पश्चात मंडल के अग्रगण्य सदस्यों की एक तमन्ना थी कि जिस सद्ज्ञान की ज्योत को पंडितजी ने जगाई है, वह निरंतर जलती रहे, उसके प्रकाश में आने वाला हर मानव स्वव पर का कल्याण कर सके । इसी उद्देश्य के साथ आजकल की बाल पीढी को जैन धर्म की प्राथमिकी से वासित करने के लिए सर्वप्रथम श्री वर्धमान कुंवर जैन संस्कार वाटिका की नींव डाली गयी। वाटिका बच्चों को आज सम्यग्ज्ञान दान कर उनमें श्रद्धा उत्पन्न करने की उपकारी भूमिका रही हैं। आज यह संस्कार वाटिका चेन्नई महानगर से प्रारंभ होकर भारत में ही नहीं अपितु विश्व के कोने-कोने में अपने पांव पसार कर सम्यग् ज्ञान दान का उत्तम दायित्व निभा रही है। जैन बच्चों को जैनाचार संपन्न और जैन तत्त्वज्ञान में पारंगत बनाने के साथ-साथ उनमें सद् श्रद्धा का बीजारोपण करने का आवश्यक प्रयास वाटिका द्वारा नियुक्त श्रद्धा वासित हृदय वाले अध्यापक व अध्यापिकागणों द्वारा निष्ठापूर्वक इस वाटिका के माध्यम से किया जा रहा है। संस्कार वाटिका में बाल वर्ग से युवा वर्ग तक के समस्त विद्यार्थियों स्वयं के कक्षानुसार जिनशासन के तत्त्वों को समझने और समझाने के साथ उनके हृदय में श्रद्धा दृढ हो ऐसे शुद्ध उद्देश्य से "जैन तत्त्व दर्शन (भाग 1 से 9 तक)" प्रकाशित करने का इस वाटिका ने पुरूषार्थ किया है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 60