Book Title: Jain Tattva Darshan Part 03
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 10
________________ $89898 A. प्रार्थना सकल विश्व का जय मंगल हो, ऐसी भावना बनी रहे अमित परहित करने को मन, सदेव तत्पर बना रहे सब जीवों के दोष दूर हो, पवित्र कामना उर उल्लसे सुख शांति सब जीवों को हो, प्रसन्नता जन मन विलसे 2. काव्य संग्रह B. प्रभु स्तुतियाँ पाताले यानि बिंबानि, यानि बिंबानि भूतले, स्वर्गेपि यानि बिंबानि तानि वंदे निरंतरं ॥ 1 ॥ 1 तुभ्यं नमस्त्रि-भुवनार्त्ति - हराय नाथ, तुभ्यं नमः क्षिति-तलामल-भूषणाय तुभ्यं नमस्त्रि-जगतः परमेश्वराय, तुभ्यं नमो जिन भवोदधि - शोषणाय ॥ 2 ॥ शुं बालको माँ-बाप पासे बाल-क्रीडा नव करे ? ने मुखमाथी जेम आवे तेम शुं नव उच्चरे ? तेमज तमारी पास तारक ! आज भोला भावथी, जेवुं बन्यु तेवुं कहुं, तेमां कशुं खोटं नथी ॥3॥ जे दृष्टि प्रभु दर्शन करे, ते दृष्टि ने पण धन्य छे, जे जीभ जिनवर ने स्तवे, ते जीभ ने पण धन्य छे। पीए मुदा वाणी सुधा, ते कर्ण युग ने धन्य छे, तुज नाम मन्त्र विशद धरे, ते हृदय ने पण धन्य छे ॥ 4 ॥ 8 दया सिन्धु, दया सिन्धु दया करना दया करना, मुझे कर्मों के बंधन से प्रभु जल्दी जुदा करना । मुझे अगर पंख मिल जाए, मैं तेरे पास आ जाऊँ, मेरे महावीर प्यारे हो, मैं तेरे में समा जाऊँ ॥ 5 ॥

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