Book Title: Jain Tattva Darshan Part 03
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

View full book text
Previous | Next

Page 31
________________ औरों को ज्ञान का दान देते रहो। और जीवों को अभयदान देते रहो। साधु-साध्वीजी को सुपात्रदान देते रहो। गरीबों पर अनुकंपादान करते रहो। दान देकर हमेशा खुशी व्यक्त करों । दान देकर कभी अभिमान मत करो । कुछ न कुछ देते रहना... देने से कभी कुछ कम नहीं होता । इस तरह दान धर्म की आराधना करने से 29 अंतराय कर्म टूटता है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60