Book Title: Jain Tattva Darshan Part 03
Author(s): Vardhaman Jain Mandal Chennai
Publisher: Vardhaman Jain Mandal Chennai

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Page 20
________________ 15. नवपद अरिहंत के 12 गुण 1. अशोक वृक्ष 7. दिव्य ध्वनि 2. पुष्पों की वर्षा 8. सिंहासन 3. तीन छत्र 9. ज्ञानातिशय 4. भामंडल 10. वचनातिशय 5. चामर 11. पूजातिशय 6. देव दुंदुभि 12. अपायापगमातिशय एक कचोडी. दो समोसा 6. नाद - घोष संसार तेरा क्या भरोसा एक कचोडी, दो समोसा - संसार तेरा क्या भरोसा सोडा, लेमन, कोकाकोला - जैन धर्म का बोलमबोला गर्व से कहो हम हिन्दु है ___- महावीर की संतान है आधी रोटी खायेंगे - जैन धर्म अपनायेंगे गुरुजी अमारो अंतर्नाद - अमने आपो आशीर्वाद गुरुजी अमारो पकडो हाथ - संयमना दो आशीर्वाद 17. मेरे गुरू मेरे गुरु साधु – साध्वी महाराज हैं। मेरे गुरु के श्रमण, अणगार, मुनि आदि दूसरे अनेक नाम हैं। 3. मेरे गुरु पांच इन्द्रियों को वश में रखने वाले हैं। मेरे गुरु क्रोध, मान, माया, लोभ आदि चार कषायों से मुक्त हैं। 5. मेरे गुरु पाँच महाव्रतों को धारण करनेवाले हैं। 6. मेरे गुरु पाँच प्रकार के आचारों का पालन करनेवाले हैं। 7. मेरे गुरु पाँच समिति, तीन गुप्ति का पालन करनेवाले हैं। 8. मेरे गुरु विश्व के समस्त जीवों का कल्याण करनेवाले हैं। 18

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