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१ - न्याय
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२- प्रत्यक्ष प्रमाणाधिकार
८. मूर्तीक पदार्थ को जानने वाला ज्ञान जीव के पूर्व भव कैसे जाने ? ६. क्या अवधिज्ञान के द्वारा सिद्ध भगवान को भी देखा जा सकता है ?
१०. मानसिक विचार मूर्तीक हैं या अमूर्तीक, कारण सहित बताओ ।
११. आत्मा का ध्यान करने वाले मुनि के मन की बात क्या मन:पर्यय ज्ञान जान सकता है, कारण सहित बताओ ।
१२. अर्हन्त भगवान तुम्हारी बात सुनने के पश्चात मेरी बात सुनेंगे क्या यह ठीक है ?
१३. जो घटना अभी हुई नहीं उसे कौन ज्ञान जान सकता है ? १४. अवधिज्ञान व केवलज्ञान दोनों के द्वारा विशद जानने में क्या अन्तर है ?
१५. निम्न बातें कौनसे प्रमाण द्वारा जानी जाती हैं
भगवान के दर्शन करना; पहले भव में तुम देव थे; पुस्तक पढ़ना; तुम यह विचार कर रहे हो कि तुम देवदत्त की सहायता से सोमदत्त के साथ अपना बदला चुका सकते हो; तुम अपने पुत्र द्वारा ही पाँच वर्ष बाद मारे जाओगे; प्रत्येक पदार्थ में प्रतिक्षण सूक्ष्म परिणमन होता रहता है; मेरी अंगूठी खोई गई, उसे कहाँ तलाश करू ? जाओ तालाब के किनारे पड़ी है उठा लो ।
१६. अवधिज्ञान व मन:पर्यय ज्ञान में क्या अन्तर है ?
१७. अवधि, मन:पर्यय व केवलज्ञान इन तीनों में कौन ज्ञान अधिक सूक्ष्म है ?