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बीकानेर लेजिस्लेटिव असेम्बली के निर्वाचित सदस्य हैं। दूमरी और
आप अखिल भारतवपीय श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कान्फ्रेन्स के बम्बई अधिवेशन के सन् १९२६ में सभापनि रह चुके हैं ।
इधर वृद्धावस्था में आपने जीवन में एक और बड़े कार्य का भार ही अपने ऊपर नहीं लिया, परन्तु उसे बड़ी सफलता के माथ चत्ताया। आपका यह कार्य “दी वीकानेर वूलन प्रेस' है।
इस प्रेस की स्थापना और संचालन की कथा बड़ी रोचक और विशद है । स्थल-संकोच से हम यहाँ केवल इतना ही बनाना चाहते हैं कि उक्त प्रेस ने बीकानेर राज्य में ऊन के व्यवसाय और व्यापार को एक नवीन इतिहास प्रदान किया है । बहुत थोड़े वर्गों में उन की पैदावार और उसका निर्यात आशातीत रूप से बढ़ गया है और एक उज्ज्वल भविष्य के माथ अग्रसर हो रहा है । ऊन प्रेस को उन्नति के पथ पर लाकर एक बार फिर श्री सेठिया जो धार्मिक साहित्य चर्चा में लगे हैं । जिसके फलस्वरूप प्रस्तुत ग्रन्थ प्रकाश में आ रहा है।
श्री सेठिया जी का मृदुल, मंजुल स्वभाव, उनकी शान्त गम्भीर मुद्रा, उनका उदार व्यवहार आकर्पण को ऐसी वस्तुएँ हैं जो सहज ही सामने वाले को प्रभावित करती हैं। अपने विस्तृत और सुग्वमय पारिवारिक वातावरण में आप अपनी वृद्धावस्था का समय आत्मोन्नति के कार्य जैसे धार्मिक साहित्य-निर्माण और मनन आदि में लगा रहे है । इस कार्य से आपको प्रात्मशान्ति का जो अनुभव होता है वह एक अपूर्व तेज के रूप में प्रतिबिम्बित हाता है और आपके साहचर्या में आने वाले व्यक्ति के ऊपर अपना प्रभाव डालता है।
बीकानेर रोशन लाल चपलोत वी० ए० आषाढ़ कृष्णा १० संवत् १६६७ न्यायतीर्थ, काव्यतीर्थ, सिद्धान्ततीर्थ : ता० ३० जून १९४० ई० ) साहित्य विनोद, विशारद आदि ,