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विपय
गिमिक समकिन
आधेय
नयन प्रयोग
आनुगमिक
free मिथ्या
आभिनिबोधिक ज्ञान
आभिनिवोधिक ज्ञान
आभिनिवेशिक मिथ्यात्व
आभियोगोकी भावना अभियोगिकी भावना के
पाँच प्रकार
आभोग कुश आम्नायार्थ वाचकाचार्य
आयु की व्याख्या और भेद
आरम्भ
आरम्भ
आरम्भिक क्रिया
आराधना तीन
आरोपणा
रोपण के पाँच भेद
[ २८ ]
बोल नम्बर: विपय
आरोपणा प्रायश्चित्त
आर्जव
आर्त्तध्यान
१० आविर्भाव
४८
३१०
८५
१५
३७५
२८
१४४
४.४
३६८
Ë×k
३०
४६
श्रवद्वार प्रतिक्रमण
ध्यान के चार प्रकार २१६ श्रार्त्तध्यान के चार लिङ्ग
२१७
३२६
श्रमुरी भावना
१४१
आसुरी भावना के पांच भेद ४०५
आस्तिक्य
२८३
आहारक
आहारक बन्धन नाम कर्म
आहारक शरीर
आहार संज्ञा
आहार संता चार कारणों
से उत्पन्न होती है
18:1
बोल नम्बर
४४
इ
६४
२६३ इन्द्रिय की व्याख्या और
CE
भेद
३२५ इहलोकाशंमा प्रयोग
३२६
२४५
-::
३५० ईर्यापथिक क्रिया २५
इच्छा परिमाण
३००
इत्यरिका परिगृहीता गमन
३०४
इन्द्र स्थान की पांच सभाएं ३६७
८
३६०
३८६
કર્
१४३
२३
३१८
२६६
ईर्या समिति
३२३
ईर्या समिति के चार कारण १८१
ईहा
२००